Bihar NDA Seat Sharing: बिहार इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। एक तरफ विपक्ष अभी एसआईआर से लेकर वोट चोरी के मुद्दे पर चुनाव आयोग और बीजेपी को घेर रहा है। दूसरी ओर एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सहमति के बावजूद दो अहम दलों यानी बीजेपी और जेडीयू के बीच टकराव की स्थिति है। बीजेपी और जेडीयू के बीच बराबर-बराबर सीटों यानी 100 से 105 सीटों के बीच चुनाव लड़ने का समझौता हो गया है।
एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सहमति तो है लेकिन बीजेपी और जेडीयू के बीच ‘बड़ा भाई’ बनने को लेकर तनातनी है। सूत्रों का कहना है कि इस समझौते के अंतिम विवरण पर अभी भी मुहर लगनी बाकी है। इसकी वजह यह है कि जेडीयू, इस बार भी बीजेपी से कम से कम एक सीट ज्यादा पाना चाहती है, जिससे वह राज्य में बड़े भाई की भूमिका में रहे।
एनडीए के बीच सीट शेयरिंग पर होगी चर्चा
एनडीए सूत्रों के अनुसार सीट शेयरिंग के मुद्दे पर आखिरी चर्चा अगले हफ्ते होने की संभावना है। जब गठबंधन के सांसद और वरिष्ठ नेता 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से संबंधित प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए नई दिल्ली में होंगे। इस दौरान बीजेपी के शीर्ष नेता शहर में विभिन्न अन्य कार्यक्रमों में भी नेताओं की मेजबानी कर सकते हैं।
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बीजेपी से एक सीट ज्यादा चाहता है जेडीयू
इसको लेकर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अब तक हम जो समझ पाए हैं, वह यह है कि जेडीयू अतिरिक्त सीटें चाहता है, भले ही बीजेपी से एक अधिक हो… ताकि (बिहार के मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार जी की लोकप्रियता के साथ-साथ बीजेपी नेतृत्व का उनकी क्षमता पर भरोसा भी मजबूत हो सके। जेडीयू के सूत्रों ने कहा कि पार्टी राजनीतिक प्रतीकात्मकता के लिए बीजेपी से कम से कम एक सीट अधिक पर जोर दे रही थी।
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एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े गए थे । उस समय बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि हम 16 सीटों पर। विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर लड़ा जा रहा है। स्वाभाविक है कि हमें एक और सीट मिले। इससे मतदाताओं में नीतीश के नेतृत्व और एनडीए के भीतर समन्वय, दोनों के बारे में सही संदेश जाएगा।
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चिराग पासवान पर निर्भरता अहम
हालांकि, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 40 सीटों के लिए जोर लगा रही है और यह तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी। लोजपा (रामविलास) अपने पांच सांसदों के आधार पर 40 सीटों का दावा कर रही है लेकिन सूत्रों के अनुसार भाजपा और जदयू उसे आधी से ज़्यादा सीटें देने के मूड में नहीं हैं।
एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, “राज्य में चिराग की महत्वाकांक्षाओं को इस तरह संतुलित करने की ज़रूरत है कि जद(यू) पर इसका कोई असर न पड़े।” सूत्रों ने बताया कि तीनों प्रमुख दलों द्वारा अपनी संख्या तय करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मंच और जीतन राम मांझी के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा जैसे अन्य सहयोगियों को भी शामिल किया जाएगा।
पिछले चुनाव में कैसा था एनडीए का प्रदर्शन?
2020 के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उस समय, एनडीए का हिस्सा रही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने 11 और हम (एस) ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि एलजेपी (तब संयुक्त) ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जेडी(यू) की 43 सीटों की तुलना में 74 सीटें जीतकर बीजेपी एक मज़बूत सहयोगी के रूप में उभरी थी।
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