बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से एक के बाद एक मुद्दे उठाए जा रहे हैं। हाल के दिनों में बीजेपी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नाम को भी प्रचार के दौरान उठाया है। वहीं कुछ ही दिन पहले टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले दिनेश त्रिवेदी ने कहा है कि ममता बनर्जी नहीं चाहती थी कि प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने।
पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि हम लोग शुभेंदु अधिकारी के साथ 12 से ज्यादा सांसद थे और हमने कहा था कि हम प्रणब मुखर्जी को वोट देंगे। ममता बनर्जी को लगा कि इससे पार्टी में दरार आ जाएगी। फिर ममता बनर्जी ने दुख भरे शब्दों में कहा था कि मुझे प्रणब मुखर्जी को वोट देना पड़ रहा है। 2012 में प्रणब मुखर्जी UPA की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार थे। तब ममता जी ने उनका विरोध किया।उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि प्रणब मुखर्जी को वोट नहीं देंगे। वे खुद बंगाल की बेटी है तो प्रणब मुखर्जी भी बंगाल के पुत्र थे। उनकी करनी और कथनी में फर्क है।
गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस पार्टी ने 2012 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। साल 2012 से लेकर 2017 तक मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति रहे थे। कुछ ही दिन पहले उनका निधन हुआ है। बताते चलें कि 2012 में ममता बनर्जी ने नाटकीय रूप से अपने निर्णय को बदलते हुए मतदान से दो दिन पहले प्रणब मुखर्जी को समर्थन करने का फैसला लिया था। इससे पहले वो मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर मनमोहन सिंह, एपीजे अब्दुल कलाम और सोमनाथ चटर्जी के नाम को आगे कर रही थी।
उस समय बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राष्ट्रपति का चुनाव देश का सबसे बड़ा चुनाव है और हम अपना मत बेकार नहीं कर सकते हैं। इस कारण हमने प्रणब मुखर्जी को समर्थन देने का फैसला लिया है। उन्होने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी एपीजे अब्दुल कलाम को सर्मथन देना चाहती थी लेकिन कई राजनीतिक दलों का समर्थन नहीं मिल सका।
पीए संगमा को हराया था: प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा को भारी अंतर से हराया था। प्रणव मुखर्जी को 7,13,763 वोट, जबकि संगमा को 3,13,987 वोट मिले थे। वोट प्रतिशत के हिसाब से प्रणब मुखर्जी को 69 प्रतिशत और पीए संगमा को 31 प्रतिशत वोट मिले थे।