कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच हाल ही में अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने जेल में बंद कैदियों को अस्थायी तौर पर पैरोल और फर्लो पर रिहा करने का फैसला किया था। सरकार का कहना था कि इस गंभीर स्थिति में कम गंभीर गुनाह के लिए सजा काट रहे लोगों को छोड़ा जा सकता है। दिल्ली में भी 3 हजार मुजरिमों को जमानत या फर्लो पर ही रिहा किया गया था। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के बीच कैदियों की निगरानी के लिए व्हाट्सऐप और गूगल मैप्स का सहारा लेने का फैसला किया है।

जस्टिस अनूप जयराम भंबानी की बेंच ने तीन अलग-अलग आदेशों में तीन मुजरिमों के जेल टर्म को अस्थायी तौर पर रद्द करने का फैसला किया। उन्होंने फैसले में कहा कि मुजरिम ओमपाल, राहत और बाबूलाल जांचकर्ता अफसर को हर हफ्ते वीडियो कॉल करेंगे या अपनी लाइव लोकेशन व्हाट्सऐप करेंगे, ताकि लॉकडाउन के बीच उन्हें हर हफ्ते पुलिस स्टेशन न जाना पड़े।

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जज ने कहा, “कैदी हर शुक्रवार को सुबह 11 से 11:30 के बीच इन्वेस्टिगेंटिंग ऑफिसर (IO) को फोन करेंगे और अगर IO मौजूद नहीं है, तो वे उस पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) को फोन करेंगे, जहां उनके खिलाफ मामला दर्ज है। वे गूगल मैप्स पर अपनी लोकेशन भी भेजेंगे, ताकि पुलिस उनकी मौजूदगी को कंफर्म कर पाए।”

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कैदी ओमपाल से जुड़े केस में जज ने कहा, “यह कोर्ट उनके जेल के टर्म को अंतरिम तौर पर 45 दिन के लिए रद्द करती है।” केस के मुताबिक, ओमपाल पर एटीएम में पैसे भरने वाली गाड़ी के ड्राइवर के तौर पर साथियों को नशीला पदार्थ खिलाकर 51 लाख रुपए लूटे। उसे 8 साल की जेल की सजा हुई थी। ओमपाल ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसको सजा में दो महीने की अंतरिम राहत दी जाए। उसका 14 साल का बेटा और जुड़वा बेटियां हैं, लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने से उनकी पत्नी कमाई करने में असमर्थ हैं। इसके बाद कोर्ट ने उसकी सजा 17 जुलाई तक रद्द कर दी।

वहीं, कोर्ट ने दूसरे मुजरिम बाबूलाल की सजा भी तीन महीने के लिए रद्द कर दी। लॉकडाउन के बीच एक अन्य मुजरिम राहत की सजा कोर्ट ने 17 जुलाई तक के लिए अस्थाई तौर पर रद्द की।

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