एम्स दिल्ली ने एक विज्ञापन निकाला है जिसमें उसने वॉलंटियर्स से खुद को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए रजिस्टर करने के लिए कहा है। रजिस्टर करने वाले वॉलंटियर्स भारतीय कोरोना वैक्सीन COVAXIN के तीसरे चरण के ट्रायल में हिस्सा लेंगे। इच्छुक 31 दिसंबर तक खुद को रजिस्टर करा सकते हैं।
बता दें कि इस वैक्सीन को भारत बायोटैक और आईसीएमआर ने मिलकर बनाया है। विज्ञापन में कहा गया है कि वैक्सीन का पहला और दूसरा ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। एम्स ने रजिस्टर करने वालों के लिए एक व्हाट्सऐप नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की है जहां वे खुद को रजिस्टर करा सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले भारत बायोटैक ने बुधवार को कहा कि Covaxin लंबे वक्त तक एंटीबॉडी बनाने में मदद करती है। 6 महीने से एक साल तक के समय के लिए एंटीबॉडी बनाने में वैक्सीन मददगार है। ये निष्कर्ष कंपनी ने 2 ट्रायल पूरे करने के बाद निकाला है।
All India Institute Of Medical Sciences (AIIMS) puts up an advertisement asking volunteers to enroll for Phase-3 clinical trial of indigenously developed Covid vaccine, COVAXIN. The last date of enrolment is December 31, 2020. pic.twitter.com/Ki80MbaR8E
— ANI (@ANI) December 24, 2020
भारत बायोटैक और आईसीएमआर द्वारा बनाई जा रही Covaxin का तीसरा ट्रायल फिलहाल चल रहा है। ट्रायल के दूसरे चरण में कुल 380 स्वस्थ बच्चों और वयस्कों को डोज दी गई। जिसके नतीजों में सफलता मिली है।
पहले ट्रायल में दूसरी डोज देने के 3 महीने बाद तक लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। अपनी रिसर्च में इसी को आधार बनाकर कंपनी द्वारा कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के 6 से 12 महीने तक एंटीबॉडी रहती हैं।
दूसरे ट्रायल में पाया गया है कि सभी आयु वर्ग में एंटी बॉडी विकसित करने में वैक्सीन मददगार है। साथ ही वैक्सीन स्त्री और पुरुषों में एक समान एंटीबॉडी बनाती है।
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि वैक्सीन के चलते कोई दूसरा गंभीर प्रभाव वॉलंटियर्स के ऊपर नहीं पड़ा। लोगों में जो एंटीबॉडी विकसित हुई उसकी तुलना उन लोगों के शरीर में बनी एंटीबॉडी से की जा सकती है जिन्होंने कि कोरोना को मात दी।
रिसर्च पेपर में ये भी कहा गया है कि वैक्सीन कितनी असरदार है इसे इसके ट्रायल में भी देखा जा सकता है। बता दें कि भारत बायोटैक ने फिर से आवेदन किया है कि उसकी वैक्सीन को इमरजेंसी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि विशेषज्ञ चाहते हैं कि कंपनी पहले तीसरे ट्रायल से जुड़ा डेटा सामने रखे। अभी तक कंपनी ने पैनल के आगे सिर्फ पहले और दूसरे ट्रायल का डेटा रखा है।