उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साल 1967 में पहला चुनाव लड़ा था। मुलायम को अखाड़े में उनके राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह ने चुनाव लड़वाया था। इसके बाद आगे चलकर मुलायम सिंह यादव कैबिनेट मंत्री तक बने थे। मुलायम के अलावा उनके भाई शिवपाल सिंह यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं, लेकिन एक अन्य भाई अभय यादव राजनीति से बिल्कुल दूर ही रहते हैं।
कभी लखनऊ शिफ्ट नहीं हुए: अभय यादव अभी भी पैतृक गांव सैफई में ही रहते हैं और खेती करते हैं। एक इंटरव्यू में अभय यादव से राजनीति में न जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘अगर सभी भाई राजनीति में चले जाएंगे तो यहां काम कौन देखेगा? हमें अपने खेत में ही अच्छा लगता है। हमने शुरुआत से ही खेतों में हल चलाया है तो यही हमारे लिए अखाड़ा है।’ मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह कभी लखनऊ शिफ्ट नहीं हुए।
अभय यादव ने बताया था, ‘मैं अक्सर उनसे मिलने के लिए जाया करते था, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा कि गांव छोड़कर हमेशा के लिए लखनऊ चला जाऊं। मुलायम जब पहली बार मंत्री बने तो लोग हमारे पास सरकारी नौकरी मांगने के लिए आने लगे। अब हम कोई किसी की नौकरी थोड़े लगवा सकते थे। हम तो सीधा कह देते थे कि जाओ लखनऊ चले जाओ। अब जो भी होता था नेताजी ही वहां पर सबकुछ देखा करते थे।’
जब चुटकी लेते थे कांग्रेसी नेता: मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर सीट से पहला चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनकी शानदार जीत हुई थी। तब यूपी में कांग्रेस का एक तरफा राज हुआ करता था और राम मनोहर लोहिया की सोशलिस्ट पार्टी से मुलायम ने हुंकार भर दी थी। यही वजह थी मुलायम सिंह को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ‘कल का छोकरा’ कहकर बुलाने लगे थे। इसके बाद वह लगातार इस सीट से चुनाव जीतते गए और साल 1977 में वह पहली बार सहकारिता मंत्री भी बने।
इसके बाद वह सबसे पहली बार साल 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। आगे चलकर मुलायम ने अपनी राजनीतिक पार्टी की स्थापना की और इसका नाम समाजवादी पार्टी रखा।