2020 का पहला चंद्रग्रहण लग चुका है। यह दुनिया के अधिकांश हिस्सों में देखा जाएगा। चंद्रग्रहण को वुल्फ मून ग्रहण भी कहा जाता है। साल 2020 का पहला पूर्णिमा शुक्रवार, 10 जनवरी को उदय होगा। चंद्रग्रहणएक ज्योतिषीय घटना है जहां पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकता है, या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से। यह ग्रहण चार पेनुमब्रल चंद्र ग्रहणों (चंद्र ग्रह) में से पहला होगा जो इस साल लग सकता है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें-
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चंद्र ग्रहण की तिथि और समय: भारत में, चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को रात 10:30 बजे से सुबह 2:42 बजे, 11 जनवरी 2020 तक देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण की पूर्ण अवधि लगभग 4 से 5 घंटे होने की उम्मीद है। यह ग्रहण इस साल के चार पेनुमब्रल ग्रहणों में से पहला होगा। उसी के लिए अन्य अस्थायी तिथियां 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर हैं।
चंद्र ग्रहण के प्रकार: कुल चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और प्रथक चंद्रग्रहण।
कुल चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है, चंद्रमा को अपनी छाया से पूरी तरह से ढंकती है। यह तब होता है जब तीन आकाशीय निकायों को एक रेखा बनाने के लिए गठबंधन किया जाता है। चंद्रमा भी कुल चंद्र ग्रहण के दौरान लाल हो सकता है, इसे ब्लड मून का उपनाम दिया जा सकता है।
एक आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है, लेकिन चंद्रमा के केवल एक हिस्से को कवर करती है, जिससे दूसरा भाग दिखाई देता है। यह तब होता है जब तीन निकायों को ठीक से संरेखित नहीं किया जाता है।
पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण क्या है? पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण में, चंद्रमा पृथ्वी की बाहरी छाया के एक हिस्से से होकर गुजरता है। पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकता है या बाधित करता है। 10 जनवरी को होने वाले चार चंद्रग्रहणों में से एक जनवरी का चंद्रग्रहण है।
2020 के चंद्रग्रहण में चंद्रमा के गेजर्स को क्या देखने की उम्मीद की जा सकती है? शुक्रवार, 10 जनवरी 2020 की रात को, चंद्रमा का अधिकांश भाग पृथ्वी द्वारा आंशिक रूप से छायांकित होगा, जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा की डिस्क में थोड़ी सी छाया होगी।
10 जनवरी 2020 को पेनुमब्रल चंद्रग्रहण कैसे देखें? शुक्रवार, 10 जनवरी को चंद्रग्रहण देखने के लिए कोई विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होगी। चंद्रमा को शुक्रवार को चंद्रग्रहण देखने के इच्छुक लोग इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं।
10 जनवरी, 2020 को कौन से सभी जगहों पर चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा? एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, दक्षिण अमेरिका में पूर्व, प्रशांत, हिंद महासागर, अटलांटिक और आर्कटिक में 10 जनवरी का द्रग्रहण देखा जा सकता है।
चंद्रग्रहण के बाद पूरा साल 2020 कैसा होगा? जानिए अपना राशिफल:
मेष (Aries ) | वृषभ (Taurus) | मिथुन (Gemini) | कर्क (Cancer) | सिंह (Leo) | कन्या (Virgo) | तुला (Libra) | वृश्चिक (Scorpio) | धनु (Sagittarius) | मकर (Capricorn) | कुंभ (Aquarius) | मीन (Pisces)
साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी की रात 10 बजकर 37 मिनट पर लगते ही कुछ देशों में चांद दुधिया रोशनी से जगमगा उठा। जिसे लोगों ने फुल मून का भी नाम दिया है। इसके अलावा लोग इसे दशक का पहला फुल मून का भी नाम दे रहे हैं। विदेशों से भी इस इस फुल मून की तस्वीर आने लगी है। केन्या की राजधानी के एक यूजर ने ट्यूटर पर एक तस्वीर शेयर किया है।
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण हो ऐसा नहीं है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है.
चंद्रग्रहण के बाद गंगा स्नान से काफी फल मिलता है। चन्द्र ग्रहण के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व होता है । चन्द्र ग्रहण के बाद गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी का दान करना शुभ माना गया है। ग्रहण के बाद गंगाजल में इत्र या गुलाबजल डाल कर घर में छिड़काव करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्
ये ग्रहण सामान्य ग्रहण की तरह नहीं है। ये आसानी से दिखाई नहीं देगा। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, चंद्र के आगे धूल जैसी एक परत छा जाएगी। इस कारण ज्योतिषीय मत में चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं है। 2020 से पहले ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को दिखा था।
साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगने जा रहा है। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इसके अलावा साल में तीन अन्य चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण भी लगेंगे। कुल मिलाकर साल 2020 में कुल 6 ग्रहण पड़े हैं। साल के पहले चंद्र ग्रहण की शुरुआत 10 जनवरी की रात 10 बजकर 39 मिनट से होगी और इसकी समाप्ति 11 जनवरी को 2 बजकर 40 ए एम पर होगी। इस ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के कई इलाकों में देखा जा सकेगा।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्
मेष: इस चंद्र ग्रहण का मेष राशि वालों को लाभ प्राप्त हो सकता है। वह अपने कई कार्यो को पूरा होने की उम्मीद कर सकते हैं। कार्यस्थल पर भी उनकी मेहनत रंग ला सकती है।
इस वर्ष होने वाले ग्रहणों की सूची इस प्रकार है:
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर - चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्य ग्रहण
सूतक काल ग्रहण से लगभग 12 घंटे पहले शुरू होता है। हालांकि, इस बार सूतक काल नहीं होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इस कारण से, इस प्रथम प्रथमाक्षर चंद्र ग्रहण पर सूतक काल नहीं लगेगा।
लोग चंद्रग्रहण को नग्न आंखों के माध्यम से देख सकते हैं क्योंकि रात में चंद्रमा को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। लोग http://www.timeanddate.com पर चंद्रग्रहण का लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं। ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के अलावा, लोग अपने स्मार्ट गैजेट्स पर चंद्र ग्रहण भी देख सकते हैं। पहला चंद्रग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जाएगा।
मान्यता है कि ग्रहण काल के दौरान खाना-पिना, शोर मचाना या किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं करना चाहिए। सूतक काल के बाद प्रेगनेंट महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान भी जरूर कर लेना चाहिए। सूतक काल शुरू होने से पहले खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर देने चाहिए। ग्रहण के दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए।
ये ग्रहण सामान्य ग्रहण की तरह नहीं है। ये आसानी से दिखाई नहीं देगा। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, चंद्र के आगे धूल जैसी एक परत छा जाएगी। इस कारण ज्योतिषीय मत में चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं है। 2020 से पहले ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को दिखा था।
10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा। इनके अलावा भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखेगा। हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा। 12 बजे के बाद अगली तारीख यानी 11 जनवरी लग जाएगी।
नासा की ग्रहण से संबंधित वेब साइट के मुताबिक पिछले 10 सालों में मांद्य चंद्र ग्रहण 6 बार हुआ है। इस तरह का ग्रहण 2020 में चार बार हो रहा है। 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। 2020 से पहले पिछले 10 सालों में 28 नवंबर 2012, 25 मार्च 2013, 18 अक्टूबर 2013, 23 मार्च 2016, 16 सितंबर 2016 और 11 फरवरी, 2017 को ऐसा चंद्र ग्रहण हो चुका है। 2020 के बाद 5 मई 2023 को फिर से ऐसा ही चंद्र ग्रहण होगा।
यह एक प्रथमाक्षर चंद्र ग्रहण है, और कोई भी चंद्रमा इस तरह के ग्रहणों में पूरी तरह से अंधेरा नहीं करता है या लाल नहीं जाता है। कुल मिलाकर, इस तरह के चार पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण 2020 में 10 जनवरी, 2020 को पहले वाले के साथ होने की उम्मीद है। साधारण शब्दों में, एक चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर होता है जब पृथ्वी का उपग्रह ग्रह की छाया से गुजरता है।
जब भी कोई ग्रहण दिखाई देता है, तो उसमें बहुत सारी सावधानियां होती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। चंद्र ग्रहण के दो चरण होते हैं: आंशिक चरण, जिसमें चंद्रमा का हिस्सा पृथ्वी की छाया से गुजरता है, और कुल चंद्र ग्रहण, जिसमें पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी विशेष चश्मे की आवश्यकता नहीं होती है और चंद्रग्रहण के सभी चरणों को देखना सुरक्षित है।
नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप चंद्र ग्रहण को देख सकते हैं। सूर्य ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है। क्योंकि इससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन चंद्र ग्रहण के समय ऐसा नहीं है आप नंगी आंखों से चंद्र ग्रहण को देख सकते हैं। लेकिन 10 जनवरी को लगने वाले चंद्र ग्रहण को आप नहीं देख पायेंगे। क्योंकि ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है।
नासा की ग्रहण से संबंधित वेब साइट के अनुसार पिछले 10 सालों में मांद्य चंद्र ग्रहण 6 बार हुआ है और इस बार साल 2020 में ऐसे 4 ग्रहण पड़ने वाले हैं। 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। 2020 से पहले पिछले 10 सालों में 28 नवंबर 2012, 25 मार्च 2013, 18 अक्टूबर 2013, 23 मार्च 2016, 16 सितंबर 2016 और 11 फरवरी, 2017 को ऐसा उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग चुका है।
10 जनवरी - चंद्र ग्रहण
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर -चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्यग्रह
10 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत सहित दक्षिण एशिया में में घटित होगा। लेकिन इस ग्रहण को सामान्य रूप में देखा नहीं जा सकेगा। इसकी वजह यह है कि इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा के आकार में कोई फर्क नहीं आएगा यानी सामान्य दिनों की तरह ही चांद नजर आएगा। बस गौर करेंगे तो ऐसा मालूम होगा कि चांद थोड़ा मटमैला हो गया है या चांद बादलों के ऊपर गुजर रहा है। यह चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को रात 10 बजकर 37 मिनट पर आरंभ होकर रात 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। चंद्र के आकार में परिवर्तन नहीं होने का कारण यह है कि यह चंद्र ग्रहण नहीं होकर उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। आइए जानें चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण में क्या फर्क होता है।
साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार यानी आज लगेगा। 6 कुल ग्रहण इस साल लगेंगे जिसमें से चंद्र ग्रहण 4 होंगे और सूर्य ग्रहण 2 होंगे। आज साल का पहला उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। भारत में भी यह चंद्र ग्रहण नजर आएगा। 4 घंटे से भी ज्यादा इस चंद्र ग्रहण की समय अवधी बताई गई है।
यह ग्रहण चन्द्रमा का उपच्छाया ग्रहण है. यह सामान्य रूप से देखा नहीं जा सकेगा. इसमें चन्द्रमा पर केवल छाया की स्थिति रहेगी. इसलिए चंद्र पर एक धूल जैसी परत नजर आयेगी। इसे देखने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। अगर आप इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण का नजारा देखना चाहते हैं इसके लिए आपको खास तरह के उपकरणों की जरूरत पड़ेगी।
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढक लेती है तब चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण में ऐसा नहीं होता इस दौरान चंद्रमा धरती की उपच्छाया में आकर उसकी छाया तक आने के बजाय वापस लौट जाता है। जिस दौरान चंद्रमा मटमैला दिखाई देना लगता है। लेकिन चंद्र का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता।
यह साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण है. 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को भी चंद्र ग्रहण लगेगा, यह सभी उपच्छाया ग्रहण होंगे.
चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही देखा जा सकेगा.
इस साल 2020 में कुल 4 चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं, जिसमें पहला चंद्र ग्रहण शुक्रवार को लगेगा। इसके अलावा इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण लगेंगे।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 10:39 पी एम, जनवरी 10
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 12:39 ए एम
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 02:40 ए एम
उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 01 मिनट 47 सेकण्ड्स
उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 0.89
चंद्र ग्रहण रात 10.39 बजे से शुरू होगा। जिसकी समाप्ति 2.40 ए एम 11 जनवरी को होगी। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। इस ग्रहण के समय चंद्रमा पूरी तरह से धरती की छाया में नहीं आ सकेगा। जिस कारण चंद्र ग्रहण को देखने के लिए विशेष तरह के उपकरणों की जरूरत पड़ेगी।
वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है इसका किसी के जीवन पर बुरा या अच्छा असर नहीं होता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध पर आते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण होता है।
चन्द्र ग्रहण क्या होता है चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है।
इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा गेहूं, चावल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे खुशहाली आती है।
मोक्ष की कामना रखने वाले इस पल को बहुत ही शुभ मानते हैं। क्योंकि इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाते हैं।
चंद्रमा की सतह पर प्रकाश मारने के बजाय, पृथ्वी की छाया उस पर पड़ती है। यह चंद्रमा का ग्रहण है - चंद्रग्रहण। चंद्रग्रहण पूर्ण होने पर ही चंद्रग्रहण हो सकता है, यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा बताती है।
भारत में एक लोकप्रिय अंधविश्वासों में से एक है चंद्रग्रहण के दौरान खाने से बचना। भारत में चंद्र ग्रहण के दौरान खाना पकाने, खाने और पीने से बचा जाता है क्योंकि लोग ग्रहण के दौरान भोजन "खराब" होने के बारे में अंधविश्वासी हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
तिब्बत में, लोगों का मानना है कि अच्छे और बुरे कर्मों को एक चंद्र ग्रहण के दौरान दस गुना किया जा सकता है।
इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा गेहूं, चावल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे खुशहाली आती है।
ये मांघ चंद्र ग्रहण होगा। जिसका अर्थ होता है न्यूतम यानी मंद होने की क्रिया। इस ग्रहण में चंद्रमा की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन चांद का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा। इस ग्रहण के समय चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा मटमैली छाया में आ जायेगा।
चंद्रग्रहण के बाद गंगा स्नान से काफी फल मिलता है। चन्द्र ग्रहण के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व होता है । चन्द्र ग्रहण के बाद गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी का दान करना शुभ माना गया है। ग्रहण के बाद गंगाजल में इत्र या गुलाबजल डाल कर घर में छिड़काव करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।