देवेंद्र पांडे। भारत के पूर्व कप्तान और टेस्ट ओपनर सुनील गावस्कर ने न्यूजीलैंड से टेस्ट सीरीज 3-0 से हारने के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बात की। घरेलू सरजमीं पर मिली करारी हार के बावजूद गावस्कर का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम का समर्थन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत को ऑस्ट्रेलिया में अभ्यास मैच खेलने चाहिए, यहां तक ​​कि टेस्ट मैचों के बीच भी जब लंबा ब्रेक हो। लिटिल मास्टर ने कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली बचाव करते हुए कहा कि बेहतरीन खिलाड़ी भी खराब दौर से गुजरते हैं, इसलिए घरेलू सरजमीं पर सीरीज हार को बुरे सपने की तरह भूल जाइए।

घर में वाइटवॉश, आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?

गावस्कर: टेस्ट मैच हारना समझ में आता है। ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन तीनों टेस्ट मैच हारना मुश्किल है। हमें टीम का समर्थन करना होगा क्योंकि हमारे सामने एक बड़ा दौरा है। हम टीम की आलोचना नहीं कर सकते। हां, यह बहुत निराशाजनक है। हम सभी जानते हैं कि इन खिलाड़ियों इतने सालों में कितने अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए मैं उनसे यही कहूंगा कि इसे एक बुरा सपने की तरह भूल जाइए। बस ऑस्ट्रेलिया पर पूरा ध्यान लगाइए। वहां उद्देश्य और तीसरी बार सीरीज जीतने के इरादे के साथ अभ्यास करें। चाहे आप 1-0, 2-0, 2-1 से जीतें। यही एक चीज है जो भारतीय क्रिकेट-प्रेमी जनता को उत्साहित करेगी। कभी-कभी, जब वे अच्छा नहीं खेलते हैं और मैं ऑन एयर होता हूं, तो मैं कहता हूं कि उन्होंने अच्छा नहीं खेला। मैं आसपास के सभी लोगों से भी आग्रह करता हूं कि जो हुआ उसके बारे में आलोचना न करें। उन्होंने इतने सालों में भारत को गौरवान्वित किया है।

क्या आप रोहित शर्मा और विराट कोहली की फॉर्म को लेकर चिंतित हैं?

गावस्कर: बेबतरीन खिलाड़ी भी खराब दौर से गुजरते हैं। तीनों मैचों में बल्लेबाजी के लिए ये पिचें आसान नहीं थीं। शायद बेंगलुरु में दूसरी पारी को छोड़कर। कभी-कभी आपको थोड़ी किस्मत की जरूरत होती है… जैसे कि आप पहली गलती करते हैं और गेंद स्टंप के पास ही जाती है। कोई कैच छोड़ देता है, कोई करीबी एलबीडब्ल्यू आपके पक्ष में जाता है। ये सब हो सकता है। लेकिन जब आप खराब दौर से गुजर रहे होते हैं, तो सब कुछ आपके खिलाफ जाता है। कोई शानदार कैच लेता है, तो आपको शानदार गेंद मिलती है। मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन उन्होंने तीन दिवसीय अभ्यास मैच (ऑस्ट्रेलिया में) रद्द कर दिया है। मेरा वाकई मानना ​​है कि उन्हें अभ्यास मैच खेलना चाहिए। टेस्ट मैचों के बीच के अंतराल में, उन्हें वास्तव में अभ्यास मैच खेलने चाहिए। जरूरी नहीं कि सीनियर खिलाड़ियों के लिए, लेकिन जूनियर खिलाड़ियों के लिए, जिन्होंने पहले कभी ऑस्ट्रेलिया में नहीं खेला है। यशस्वी जायसवाल, सरफराज खान, ध्रुव जुरेल ये सभी युवा बल्लेबाज हैं। यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया ए टीम या क्वींसलैंड जैसी टीम के खिलाफ भी जूनियर खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलिया की उछाल और पिचों से परिचित होने का अवसर अवश्य दिया जाना चाहिए।

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चर्चा है कि भारतीय बल्लेबाज सख्त हाथों से डिफेंस करते हैं। इस बारे में आपकी क्या राय है?

गावस्कर: मुझे लगता है कि उन्हें अच्छी गेंदें मिलीं। आप पलटकर यह नहीं कह सकते कि किसी ने सख्त हाथों से खेला। मेरा मतलब है कि रोहित शर्मा की पहली पारी को देखिए। गेंद स्क्वायर टर्न हुई और उछलकर दूर चली गई। हां, दूसरी पारी में शॉट बहुत बढ़िया नहीं था। लेकिन मुझे लगता है कि अन्य खिलाड़ी अच्छी गेंद पर आउट हुए। तकनीकी रूप से कुछ भी गलत नहीं था। न्यूजीलैंड ने शानदार क्रिकेट खेला।

क्या आपको लगता है कि हमें पारंपरिक टेस्ट मैच पिचों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिस पर खेल लंबे समय तक चलता है?

गावस्कर: हमारे पास बहुत बढ़िया संतुलित आक्रमण है। हमारे पास बहुत बढ़िया नई गेंद का आक्रमण है। हमारे पास विश्व स्तरीय स्पिनर हैं। रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में 900 से ज्यादा विकेट लिए हैं। इसलिए, धीरे-धीरे खराब होने वाली पिच के साथ मैच में उतरना, जहां शायद चौथे दिन से टर्न शुरू हो, भारत के लिए बेहतर मौका होगा। साथ ही, चाहे आप पहले बल्लेबाजी करें या फिर दूसरी पारी में, यह आपके बल्लेबाजों को जीत के लिए आगे बढ़ने का मौका देता है।

और आजकल के खिलाड़ी आपकी तरह देर से नहीं खेलते हैं?

गावस्कर: मुझे लगता है कि यह मानसिकता से ज्यादा जुड़ा है। जहां लोग फ्रंट फुट पर आकर गेंद को हिट करना चाहते हैं। इसलिए, तेज गेंदबाजों के खिलाफ भी आप शायद ही कभी क्रीज की गहराई का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं। अगर आप क्रीज की गहराई का इस्तेमाल करते हैं, तो आप कट शॉट और पुल शॉट खेल सकते हैं। लेकिन यह एक आधुनिक तरीका है इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि यह सही है या यह गलत है।