भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और ऑलटाइम ग्रेट बैट्समैन सचिन तेंदुलकर ने सैंकड़ों मुकाबलों में एक साथ बल्लेबाजी की है। गांगुली और सचिन एक-दूसरे को जूनियर क्रिकेट से जानते थे। सचिन को आमतौर पर शालीन और सौम्य क्रिकेटर के तौर पर जाना जाता है। सचिन जितने सौम्य थे उतने ही शरारती। इसका खुलासा गांगुली ने एक इंटरव्यू में दिया था। दादा ने कहा था कि एक बार तेंदुलकर ने उनके कमरे में पानी भर दिया था। वहीं, एक बार सचिन मैच हारने के बाद रोने लगे थे।

स्पोर्ट्स एंकर गौरव कपूर ने तीन साल पहले अपने यूट्यूब चैनल ‘ऑकट्री स्पोर्ट्स’ पर गांगुली के इंटरव्यू का वीडियो पोस्ट किया था। उसमें गांगुली ने कहा, ‘‘तब मैं 14 साल का था। इंदौर में नेशनल कैंप था। उस समय वासु सर सबको बहुत दौड़ाते थे। हम सब थक चुके थे। मैं दोपहर को सो गया था। रविवार को छुट्टी थी। मैं और मेरा दोस्त सो रहे थे। पांच बजे नींद खुली तो देखा कि कमरे में पानी ही पानी है। सूटकेस और जूते तैर रहे थे। मुझे लगा कि अंदर से पाइप फट गया है। बाथरूम में गया तो वह सूखा हुआ था। फिर कमरा खोला तो देखा कि सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली गेट पर थे। दोनों ने कहा कि टेनिस बॉल से खेलने चलो। मैंने कहा कि दरवाजे को नॉक कर सकते थे।’’

गांगुली ने एक मैच को याद करते हुए कहा, ‘‘1996-97 में बारबाडोस में हम वेस्टइंडीज के खिलाफ हार गए थे। 120 रन चेज नहीं कर पाए थे। हारने के बाद वह गुस्से में था। मैं पहली बार सचिन को ड्रेसिंग रूम में रोते हुए देखा था। गुस्सा मेरे ऊपर उतरा। मुझसे कहा कि अगर रन बनाना है तो कल से सुबह मेरे साथ दौड़ना। मेरे साथ टीम में रहना है तो यह करना होगा। कप्तान को गुस्सा आना सही है।’’ गांगुली ने 2008 और सचिन ने 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था।

गांगुली ने सचिन के बारे में बताया, ‘‘पहली बार सचिन को तब देखा था। लंबे-लंबे बाल थे। मुंबई से वह था तो उसका नाम ज्यादा लिया जाता था, क्योंकि उस दौर में मुंबई के खिलाड़ियों को लेकर शोर ज्यादा मचता था। सचिन को नेट से निकालना पड़ता था। वह सिर्फ बल्लेबाजी करते रहता था। वासु सर जबरदस्ती उसे नेट से निकालते थे। तब से ही मुझे पता था कि इस लड़के में कुछ अलग है। उसके पूरे करियर को नजदीक से देखा हैं। उसे अंदर से जानता हूं। वह क्रीज पर क्या करना चाहता है और क्यों गुस्सा है। सब जानता हूं।’’