लॉकडाउन के बीच खिलाड़ी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस से जुड़ रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की भरोसेमंद बल्लेबाज स्मृति मंधाना और जेमिमा रोड्रिग्ज ने इंस्टाग्राम पर एक लाइव शो शुरू किया। इसका उन्होंने डबल ट्रबल नाम दिया। शो के तीसरे एपिसोड में दोनों ने भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से लाइव चैट की।

6 बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन सानिया उन टेनिस स्टारों में शामिल हैं, जिन्होंने मां बनने के बाद कोर्ट पर वापसी की और खिताब भी जीता। मौजूदा एरा में सानिया सेरेना विलियम्स और किम क्लिस्टर्स भी ऐसी हैं टेनिस स्टार हैं, जिन्होंने मां बनने के बाद खिताब जीता है। बातचीत के दौरान सानिया ने बताया कि वे अपनी जिद और दृढ़ संकल्प के कारण बेटे के जन्म के बाद टेनिस कोर्ट पर लौट पाईं। उन्हें अपनी फिटनेस पर बहुत काम करना पड़ा।

सानिया ने कहा, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान मेरा वजन 23 किलोग्राम बढ़ गया था, क्योंकि मैंने वह सब कुछ खाया जो मैं खा सकती थी। बेटे के जन्म के बाद जब मैं पहली बार ट्रेडमिल पर उतरी तो मुझे बहुत भारीपन लगा। लेकिन मैंने अपना वजन 26 किलो कम करने की ठान ली थी।’

स्मृति और जेमिमा ने सानिया से टेनिस को करियर चुनने को लेकर भी बात की। इस पर सानिया ने बताया, ‘जाहिर है मेरे पति क्रिकेटर हैं। जब मैंने खेलना शुरू किया, तो मेरे पिता क्रिकेट खेलते थे। मेरे चाचा रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी थे, मेरे पिताजी के समधी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे, इसलिए मेरे परिवार में बहुत क्रिकेटर थे।’

उन्होंने कहा, ‘अगर मैं एक लड़का होती तो मैं सिर्फ क्रिकेट खेलती। पिछले 10 साल में चीजें बहुत बदल गई हैं, लेकिन जब मैंने शुरुआत की, तब बहुत कम सुना जाता था कि किसी लड़की ने क्रिकेट को अपना करियर चुना है। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं कोई खेल खेलूं। मैं टेनिस खेलने, तैराकी और रोलर स्केट के लिए जाती थी। मुझे अन्य दोनों की तुलना में टेनिस में काफी बेहतर लगा।’

इस दौरान मंधाना ने मिताली राज, पीवी सिंधु और सानिया मिर्जा के नाम गिनाते हुए कहा कि हैदराबाद में क्या खास है, जो वहां से टॉप एथलीट निकल रहे हैं। पानी का असर है या बिरयानी का। इस पर सानिया हंसने लगीं।

उन्होंने कहा, ‘पता नहीं यार। वास्तव में हैदराबाद में खेल को काफी प्रोत्साहित किया गया है। मैं ईमानदारी से सोचती हूं। मेरा एक मजेदार सिद्धांत कि हैदराबाद में हमारे पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। अन्य बड़े शहरों की तरह बहुत सारे अड़ंगे नहीं हैं। शायद इसीलिए छोटे शहरों से बहुत सारे चैंपियन निकलते हैं।’