सुरेश रैना ने 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप क्वार्टरफाइनल में मिली जीत में बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने 28 गेंद पर नाबाद 36 रन बनाए थे। रैना जब बल्लेबाजी के लिए गए थे तब टीम इंडिया को जीत के लिए 75 गेंद पर 74 रन बनाने थे। उन्होंने युवराज के साथ नाबाद साझेदारी की। रैना ने उस पारी को याद कर कहा कि जब वे बल्लेबाजी के लिए जा रहे थे तो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आउट होकर आ रहे थे। उनका चेहरा उतरा था। इसके बाद ही उन्होंने सोचा कि हर हाल में मैच जीतना है। टीम इंडिया मैच जीतकर सेमीफाइनल में पहुंच गई और फिर फाइनल में श्रीलंका को हराकर चैंपियन बनी थी।

रैना ने आकाश चोपड़ा से बातचीत में कहा, ‘‘ड्रेसिंग रूम में मेरे बगल में सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग थे। सचिन पाजी ने कहा, ‘‘जा आज तेरा दिन है, तू मैच जीताकर आएगा। फिर मैंने कहा कि आज तो मैं छोड़ूगा। युवी पा (युवराज सिंह) अंदर खेल रहे थे और धोनी भाई (धोनी) आउट होकर आ रहे थे। उनके चेहरे पर मायूसी थी। तब मैंने ठान लिया कि मुझे ये चांस मिला है और प्रदर्शन करना है। भले ही मैं उधर गिर ही क्यों न जाऊं।’’

रैना ने कहा, ‘‘ जिस वक्त मैदान पर गया था उस समय गेंद का रंग बदल गया था। ऑस्ट्रेलिया ने ऑफ स्पिनर को हटा दिया था। ऑफ स्पिनर ही हमें आउट कर सकता था। मैंने ब्रेट ली को छक्का मारा तो लगा मैंने कहा कि अब तो जीतना ही है।’’ रैना ने इसके बाद वर्ल्ड कप फाइनल के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘‘टॉस के बारे में सचिन पाजी ने पहले ही कह दिया था कुछ भी आए जीतना ही है। इसके बाद एक अलग ही खामोशी थी। महेला जयवर्धने ने शतक लगाया था। वीरेंद्र सहवाग ने स्लिप में, पॉइंट पर युवी पा ने कैच लिया। कवर में मैं और कोहली थे। लगातार डाइव लग रहे थे।’’

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उन्होंने आगे बताया, ‘‘श्रीसंत ने ज्यादा गेंदबाजी कर ली तो उसे क्रैम्प आ गया था। सब मैदान पर गिरने लगे थे, लेकिन स्टेडियम से ऐसा सपोर्ट मिला कि सबमें जान आ गई। फिर बल्लेबाजी के दौरान वीरू भाई बेहतर खेलने के बाद आउट हुए। सचिन पाजी अच्छे स्ट्रेट डाइव लगाए और आउट हो गए। फिर गौतम गंभीर और विराट ने पारी को संभाला। विराट के आउट होने के बाद धोनी भाई बल्लेबाजी के लिए गए थे। उन्होंने मुरली सर (मुरलीधरन) को चौका लगाया तो मुझे लगा गेम ऑन है। धोनी का युवराज से ऊपर जाना एक मास्टर स्ट्रोक था।’’