चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम बात जब भी होती है तो सबसे पहला नाम महेंद्र सिंह धोनी का लिया जाता है। टीम के कई खिलाड़ियों ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि सीएसके में धोनी की अनुमति के बिना कुछ नहीं होता है। वे टीम के बॉस हैं। टीम इंडिया और चेन्नई के पूर्व बल्लेबाज सुब्रमण्यम बद्रीनाथ ने माही की तारीफ करते हुए कहा कि वे खिलाड़ियों के सबसे बेहतर परखते हैं। बद्रीनाथ का मानना है कि धोनी ने अगर किसी खिलाड़ियों के बारे में राय बना ली कि वह बहुत अच्छा नहीं है तो भगवान भी उस प्लेयर की मदद नहीं कर सकता है।
बद्रीनाथ टीम की पारी को संभालने का काम करते थे। वे ज्यादातर चौथे या पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते थे। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘‘धोनी हमेशा जानते थे कि मेरा रोल काफी महत्वपूर्ण था। ज्यादातर परिस्थितियों में टीम के मुश्किल दौर से बाहर निकालना था। मेरा रोल मध्यक्रम में था। धोनी की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह खिलाड़ियों को अतिरिक्त मौका देते हैं। अगर धोनी को लगता है कि बद्री ठीक है तो बद्री वहां रहेगा। एक बार जब वह इसे सही मानते हैं तो आगे की प्रक्रिया पर ध्यान देते हैं। वे कहते हैं कि मैं उसे मौका दूंगा, उसे खुद को साबित करने दो।’’
बद्रीनाथ ने आगे बताया, ‘‘उसी तरह, अगर वो एक बार मान ले कि आप बहुत अच्छे नहीं हैं तो भगवान भी आपकी मदद नहीं कर सकता है। उनका एक अपना तरीका है और वे उस पर डटे रहते हैं, चाहे नतीजा कुछ भी हो।’’ टीम मैनेजमेंट को लेकर बद्रीनाथ ने कहा, ‘‘चाहे हमारा प्रदर्शन कैसा भी रहा हो, मालिकों ने हमेशा सही व्यवहार किया है। हमारी टीम का माहौल बेहतरीन है। बॉस कहते हैं कि आप एक चैंपियन टीम हो। हमारे पास कप्तान के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी है।’’
बद्रीनाथ ने कहा, ‘‘मैंने धोनी से एक बात सीखी है कि अगर कुछ अच्छा हो रहा है तो उसके साथ छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है।’’ चेन्नई के इस पूर्व क्रिकेटर ने आईपीएल में 95 मैच खेले हैं। इस दौरान 1441 रन बनाए हैं। बद्रीनाथ का औसत 30.65 का रहा है। शुरू में माना जा रहा था बद्रीनाथ टी20 फॉर्मेट में फिट नहीं होंगे, लेकिन उन्होंने 2010 सीजन में और 2011 सीजन में 400 रन बनाए थे। चेन्नई की टीम 2008 के फाइनल में हारी थी। इसके बाद 2009 में सेमीफाइनल तक पहुंची। बद्रीनाथ के रहते पहली बार 2010 में टीम चैंपियन बनी थी।