भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन वनडे, तीन टी20 और चार टेस्ट की सीरीज की शुरुआत 27 नवंबर से होने वाली है। वनडे और टी20 होने के बावजूद सबकी नजर टेस्ट सीरीज पर है। भारतीय टीम लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतना चाहेगी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया की टीम 2018 में मिली हार का बदला लेने उतरेगी। तब भारत उसकी जमीन पर पहली टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब हुआ था। उस जीत के नायक थे चेतेश्वर पुजारा। उन्होंने टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए थे।
पुजारा ने सात पारियों में 521 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने सीरीज में कुल 30 घंटे तक बल्लेबाजी की थी। पुजारा ने 1258 गेंदों का सामना किया था। उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था और टीम इंडिया 4 टेस्ट की सीरीज 2-1 से जीती थी। पुजारा के सामने दुनिया के खतरनाक गेंदबाजी तिकड़ी मिशेल स्टार्क, जोस हेजलवुड और पैट कमिंस फेल हो गए थे। पुजारा ने 74.42 की औसत से रन बनाए थे। इस दौरान 3 शतकीय पारी खेली थी। वे ऑस्ट्रेलिया में एक सीरीज में सबसे ज्यादा गेंद खेलने वाले भारतीय बल्लेबाज बने थे। उन्होंने राहुल द्रविड़ का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
द्रविड़ ने 2003-04 के दौरे पर 1203 गेंदों का सामना किया था। विराट कोहली ने 2014-15 में 1093 और सुनील गावस्कर ने 1977-78 में 1032 गेंदों का सामना किया था। पुजारा ने एक साथ तीन दिग्गजों का रिकॉर्ड तोड़ खुद को टीम इंडिया का नया ‘द वॉल’ साबित किया था। भारतीय क्रिकेट में राहुल द्रविड़ को ‘द वॉल’ के नाम से जाना जाता है। उन्हें आउट करने में गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे। पुजारा ने एडिलेड और मेलबर्न में शतक लगाया था। भारत शुरुआती 3 टेस्ट में 2 जीता और एक हारा था। सिडनी में आखिरी टेस्ट ड्रॉ हुआ था।
पुजारा की तुलना 1977-78 में सुनील गावस्कर, 1999-2000 में सचिन तेंदुलकर, 2003-04 में राहुल द्रविड़ और 2014-15 में विराट कोहली के प्रदर्शन से होने लगी थी। पुजारा दिसंबर से शुरू होने वाली टेस्ट सीरीज में टीम की जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद भारत वापस लौट जाएंगे। ऐसे में पुजारा पर अतिरिक्त दबाव होगा। अब देखना है कि इस बार वो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का सामना किस तरह करते हैं।