भारत के पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा ने खुलासा किया है कि उन्हें दिल्ली की टीम से अचानक ही निकाला गया था। आकाश ने यूट्यूबर चैनल पर वसीम जाफर के साथ बातचीत में कहा कि वे टीम से हटाए जाने के समय कप्तान थे और उन्हें फैसले के बारे में किसी ने बताया नहीं था। आकाश ने भारत के लिए 10 टेस्ट मैच खेले थे। इस दौरान उन्होंने 23.00 की औसत से 437 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने दो अर्धशतक लगाए थे। टेस्ट में उनका प्रदर्शन भले ही बेहतर नहीं रहा हो, लेकिन 162 प्रथम श्रेणी मैच में उन्होंने 45.35 की औसत से 10839 रन बनाए थे। आकाश ने 29 शतक और 53 अर्धशतक जड़े थे।

आकाश ने दिल्ली की टीम से निकाले जाने को लेकर कहा, ‘‘मैं तो दिल्ली से राजस्थान इसलिए गया था कि क्योंकि एक दिन मैं सुबह उठा और मेरा नाम ही नहीं था। वे वनडे की टीम बना रहे थे। उन्होंने मुझे बताया भी नहीं कि मुझे हटाने वाले हैं और सीधे नाम ही काट दिया। वह मेरे लिए शर्मनाक था। मैंने अपना किट बैग ड्राइवर से मंगवाया और कहा कि बड़ी बेइज्जती हो गई। क्योंकि उस सीजन में मैं टीम का कप्तान भी था।’’ आकाश ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच 2011-12 सीजन में खेला था।

आकाश ने जाफर से मुंबई से विदर्भ जाने के बारे में पूछा तो पूर्व ओपनर ने कहा, ‘‘2013-14 सीजन के शुरुआत में एक सिलेक्टर मेरे पास आए और कहा हमलोग आपको रणजी ट्रॉफी का कप्तान बनाएंगे। मैंने 2010 में कप्तानी से इस्तीफा दिया था। उन्होंने मुझसे कहा कि हम आपको कप्तान के तौर पर देखना चाहते हैं। 2015 का वर्ल्ड कप था तो बीसीसीआई ने विजय हजारे ट्रॉफी को रणजी से पहले करवाया था। फिर वो सिलेक्टर मेरे पास आए और कहा हमलोग शायद आपको ड्रॉप कर देंगे। मुझे लगता है उसमें कोच का भी योगदान होगा।’’

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जाफर ने आगे बताया, ‘‘मैंने इस फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की तो बाद में उन्होंने बैठक करने के बाद मुझे वनडे टीम में ले लिया। मैंने उस विजय हजारे ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाए थे। इसके बाद रणजी ट्रॉफी के पहले मैच में जम्मू-कश्मीर के खिलाफ मैं चोटिल हो गया तो पूरा सीजन नहीं खेल पाया। फिर मुझे लगा कि मैं इनके प्लान में नहीं हूं। तो मैंने प्लान बनाया कि इससे पहले कि वे मुझे निकाले, मैं ही बाहर चला जाता हूं। विदर्भ से ऑफर और टीम के भविष्य के बेहतर प्लान को देखने के बाद मैंने उन्हें जॉइन कर लिया।’’