भाजपा और संघ के अन्य की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपातकाल को इतिहास का काला अध्याय कहते हैं। RSS-BJP का दावा रहा है कि उनके नेताओं ने इंदिरा गांधी द्वारा जून 1975 में लगाए आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया था। हालांकि इस दावे के विपरीत भी ऐतिहासिक साक्ष्य मिलते हैं।
आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। पिछले दिनों ‘मन की बात’ कार्यक्रम के एक एपिसोड में पीएम मोदी ने बताया था कि उन्होंने आपातकाल के दौरान किए संघर्ष पर एक किताब भी लिखी है। गुजराती में लिखे उस किताब का नाम ‘संघर्ष में गुजरात’ है।
सशस्त्र संघर्ष का सुझाव
नरेंद्र मोदी अपनी किताब में बताते हैं कि कैसे गुजरात ने आपातकाल के पहले सप्ताह में सभी गांधीवादी तरीकों का इस्तेमाल किया। मोदी दावा करते हैं कि समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था कि इंदिरा को हराने के लिए सशस्त्र प्रतिरोध ही एकमात्र तरीका था। लेकिन संघ ने इसका विरोध किया।
वह लिखते हैं, “जॉर्ज का स्पष्ट मानना था कि इंदिरा जी कभी पीछे नहीं हटेंगी। उनका दृढ़ विश्वास था कि ऐसी स्थिति में सशस्त्र प्रतिरोध ही एकमात्र रास्ता है और उन्हें लगता था कि संघ को बिना देर किए राष्ट्र की खातिर ऐसा कार्य हाथ में लेना चाहिए… लेकिन चुनौतियां जो भी हों संघ बहुत स्पष्ट था कि संगठन हिंसा के माध्यम से क्रांति या परिवर्तन की कामना नहीं करता।”
फर्नांडिस के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए मोदी लिखते हैं, “…एक पीली फिएट कार गेट के बाहर आकर रुकी। बिना इस्त्री किया हुआ लखनवी कुर्ता, सिर पर हरे रंग का कपड़ा लपेटे हुए, चेकदार लुंगी और लंबी दाढ़ी लगाए हुए एक मजबूत कद काठी का आदमी निकला, जो एक मुस्लिम फकीर की तरह लग रहा था और ‘बाबा’ के नाम से जाना जाता था। यह जॉर्ज फर्नांडिस थे।”
सरदार पटेल की बेटी ने संभाला मोर्चा
नरेंद्र मोदी ने नेहरू की जयंती (14 नवंबर) को इंदिरा के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने के दिन के रूप में चुनने के बारे में लिखा है। गुजरात की जनता मोर्चा सरकार ने 15-30 अगस्त, 1976 को अहमदाबाद से दांडी तक ‘संघर्ष कूच’ के साथ दांडी यात्रा को भी दोहराया, जिसका नेतृत्व सरदार पटेल की बेटी मणिबेन ने किया था।
किताब में लिखा है, “इस कूच में शामिल होने वालों को DIR (भारत रक्षा नियम) के तहत गिरफ्तार किया गया था लेकिन सरकार को मणिबेन को गिरफ्तार करने के खतरों के बारे में पता था, इसलिए उन्हें बख्श दिया गया।”
मोदी का गुप्ता नाम- प्रकाश
मोदी ने अपनी किताब में जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित लोक संघर्ष समिति की भी चर्चा की है। इस समिति के सदस्यों पर सरकार की कड़ी निगरानी थी। बावजूद इसके समिति ने अमेरिका और ब्रिटेन तक अपनी पहुंच बना ली थी। संघ के लक्ष्मणराव इनामदार जिन्हें “वकील साहब” के नाम से भी जाना जाता था, उन्होंने आपातकाल के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अहमदाबाद, बैंगलोर , मुंबई और दिल्ली में केंद्र बना रखा था।
लक्ष्मणराव इनामदार उस व्यक्ति को सिर्फ ‘श्रीमान’ के नाम से बुलाते थे, जो हर 10 दिनों में इन केंद्रों पर जाता था और प्रमुख लोगों से मिलता था। मोदी लिखते हैं कि संघ ने मनोरंजन क्लबों, भजन मंडलियों और कल्याण मंडलियों जैसे मोर्चों के माध्यम से भी अपना संदेश पहुंचाया। उन्होंने लिखा है, “सार्वजनिक क्षेत्र में गुप्त रूप से काम करने वालों को नए नाम दिए गए” उन्होंने खुलासा किया कि वह खुद ‘प्रकाश’ नाम से जाने जाते थे।