ब्‍लड प्रेशर के बढ़ने से लोगों के दिल पर तो बुरा असर होता ही है। साथ ही दिमाग पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। एक्‍सपर्ट का कहना है कि हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या को युवाओं और बच्‍चों में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे स्‍ट्रोक का खतरा ज्‍यादा बढ़ जाता है। इसकी वजह से दिमाग और किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है। ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या के कई कारण होते हैं तो वहीं इसके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं।

हाई ब्‍लड प्रेशर दिमाग पर कैसे डालता है असर?
हाई ब्‍लड प्रेशर की वजह से कई समस्‍याएं आती है। मध्यम और अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अधिक होती है। वहीं कुछ युवाओं में भी यह समस्‍या पैदा हो जाती है। इस कारण एक्‍सपर्ट सावधान होने की सलाह देते हैं। हाई ब्‍लड प्रेशन दिमाग पर कई तरह का खतरा पैदा करता है, जो इस प्रकार हैं।

स्‍ट्रोक का खतरा: रक्‍तचाप के बढ़ जाने से दिमागी स्‍ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हाई ब्‍लड प्रेशर शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिसकी वजह से दिमाग की नसे भी फट सकती हैं। ब्रेन स्‍ट्रोक से मरीजों की आवाज पर भी बुरा असर पड़ सकता है और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी खराब हो सकता है।

ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक: हाई ब्लड प्रेशर की वजह से मिनी स्ट्रोक का भी खतरा होता है, क्‍योंकि ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक या टीआईए आपके मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करता है या रोकता है। इसमें रक्‍त का थक्‍का जमने से मिनी स्‍ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

शॉर्ट मेमोरी की समस्‍या: हाई ब्‍लड प्रेशर की वजह से याददाश्‍त पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे याददाश्‍त कम होने या जाने का खतरा होता है, जिसे शॉर्ट मेमोरी भी कहा जाता है।

चिंता और अवसाद की समस्‍या: हाई ब्लड प्रेशर की वजह से चिंता और अवसाद की समस्या हो सकती है। चिंता और अवसाद की स्थिति में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना भी मुश्किल हो जाता है।

कंट्रोल करने के उपाय
जीवनशैली और खानपान में कुछ बदलाव करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए आपको लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत होती है। इसमें से एक खानपान में सुधार करके भी हाई ब्‍लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के लिए नुकसानदायक चीजें जैसे फैट, साबुत अनाज और मछली आदि का सेवन कम करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके साथ ही नियमित व्‍यायाम भी करना चाहिए। दिन में कम से कम 1 घंटे के लिए रोजाना व्यायाम करने से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।