Bihar Elections 2020: भागलपुर ज़िले के दो कद्दावर नेता अपने-अपने बेटों के लिए बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट जुगाड़ करने की जी तोड़ कोशिश में जुटे है। इनमें एक कहलगांव से कांग्रेस के सदानंद सिंह हैंं। और दूसरे भाजपा के केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे हैंं। सदानंद सिंंह कामयाब रहे हैं। उन्होंने एक मुलाकात में बताया था कि पुत्र मोह किस पिता को नहीं होता है?
कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंंह के बेटे शुभानंद मुकेश को कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिल गया है। कहलगांव विधानसभा सीट पर नौ दफा विजय पताका फ़हराने वाले सदानंद सिंह उम्रदराज (80 पार) हो चुके हैं। उन्होंने इस बार विरासत बेटे को सौंपने का तय कर लिया था। वह बिहार सरकार मेें मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुके हैं। फिलहाल कांग्रेस विधायक दल के नेता हैंं।
कहलगांव में 28 अक्तूबर को मतदान है। शुभानंद को टिकट की घोषणा 5 अक्तूबर को हुई, लेकिन वह पहले से क्षेत्र में जनसंपर्क व प्रचार में जुट गए थे। इस काम में तो अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित सारस्वत भी जुटे हुए हैं, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का ऐलान नहीं हुआ है।
अश्विनी चौबे भागलपुर शहरी क्षेत्र से अर्जित को दोबारा भाजपा उम्मीदवार बनवाने की जुगत में लगे हैंं। इनके समर्थक भाजपा कार्यकर्ता देवनारायण पांडे और सुरेंद्र पाठक का कहना है कि मंत्री जी के बेटे को टिकट मिलना तय है। वह किसी भी सूरत में मानने वाले नहीं हैंं। चाहे विरोधी कितना भी दम लगा लें।
Bihar Elections 2020 LIVE Updates in Hindi
भागलपुर से टिकट की दौड़ में भाजपा के अभय वर्मन और प्रीति शेखर भी हैंं। प्रीति और इनके पति मृणाल शेखर तो दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैैं। मृणाल शेखर 2015 का चुनाव भाजपा टिकट पर बांका ज़िले के अमरपुर से लड़े और हारे। यहां से जदयू जीती थी। इस दफा जदयू अपनी सीट छोड़ने के मूड में नहीं है। इस वजह से मृणाल पर संकट मंडरा रहा है।
भागलपुर सीट के लिए भाजपाइयों का कहना है कि आखिर जमीनी कार्यकर्ता की अनदेखी कब तक की जाएगी? बाप-बेटे ही चुनाव लड़ेंगे तो कार्यकर्ताओं को मौका कब मिलेगा। भागलपुर सीट पर चुनाव 3 नवंबर को है।
2015 विधानसभा चुनाव में भागलपुर से अर्जित भाजपा टिकट पर चुनाव लड़े और कांग्रेस के अजित शर्मा से लगभग 11 हजार वोट से हारे। उस वक्त महागठबंधन में जदयू थी। अब भाजपा के साथ है। शर्मा को इस बार फिर कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है।
बिहार चुनाव 2020 LIVE Updates in Hindi
भागलपुर भाजपा का गढ़ हुआ करता था। अश्विनी चौबे पांच दफा इस सीट से चुनाव जीते हैंं। 2014 में बक्सर से सांसद बनने के बाद उन्होंंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अजित शर्मा ने कब्जा कर लिया। बस यहीं से भाजपा के दिन इस सीट पर गर्दिश में आ गए।
भाजपा भागलपुर संसदीय सीट 2014 में हारी। शाहनवाज हुसैन को राजद के शैलेश कुमार ने नौ हजार के करीब मतों से शिकस्त दी। इसके बाद विधानसभा का उपचुनाव भाजपा हारी। फिर 2015 में विधानसभा के आम चुनाव में पराजय का मुंह देखना पड़ा। 2019 लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा की गुटबाजी के कारण जदयू की झोली में गई। और जदयू के अजय मंडल बतौर राजग उम्मीदवार पौने तीन लाख से ज्यादा रिकार्ड मतों से जीते।
सीट शेयरिंग के तहत भागलपुर जदयू को चली जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। मगर भाजपा की ओर से नियुक्त भागलपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी अभय कुमार घोष उर्फ सोनू घोष का दावा है कि भागलपुर सीट भाजपा की झोली में ही आएगी।
ऐसे भी भाजपा को 2015 विधानसभा चुनाव में भागलपुर ज़िले की सात विधानसभा सीटों में से एक पर भी जीत नहीं मिली। जदयू ने राजद -कांग्रेस के साथ मिलकर सभी सीटें जीती। तीन पर जदयू, दो पर राजद, दो पर कांग्रेस। जबकि भाजपा उम्मीदवार बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती और भागलपुर सीट से चुनाव लड़े और शिकस्त खा गए थे।
