भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास के हालात पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन की रपट ने एक बार फिर दुनिया के सामने चीन के चेहरे से पर्दा हटाया है। कहने को आए दिन चीन भी दूसरे देशों की संप्रभुता का खयाल रखने की बात करता रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि जमीन पर उसकी गतिविधियां उसके भीतर मौजूद विस्तारवाद की भूख को ही दर्शाती हैं।
भारत अक्सर यह आरोप लगाता आया है कि एलएसी पर चीन अवांछित गतिविधियों के जरिए अपने पांव फैलाने की कोशिश कर रहा है। सवाल उठाने पर चीन अपनी हरकतों को गलत और सीमा पर अतिक्रमण की बात मानने से इनकार करता रहा है। अतीत में चीन का जैसा रुख दुनिया के सामने रहा।
उसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में खासतौर पर भारतीय सीमा के पास कई स्तर के निर्माण कार्यों से लेकर उसकी सैन्य गतिविधियां यह बताने के लिए काफी हैं कि वह भारत के प्रति क्या मंशा रखता है। अब पेंटागन की रपट के जरिए जो बातें सार्वजनिक हुई हैं, उससे भारत के आरोपों की ही पुष्टि होती है और यह समझने में मदद मिलती है कि चीन अपने पड़ोसी देशों के प्रति वास्तव में क्या रुख रखता है।
गौरतलब है कि पेंटागन की ‘मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वाल्विंग द पीपल्स रिपब्लिक आफ चाइना रिपोर्ट, 2023’ के अनुसार, मई 2020 के बाद भारत और चीन की सीमा पर तनाव बढ़ा और इस दौरान दोनों पक्ष टकराव और समाधान के जद्दोजहद से जूझ रहे थे। दूसरी ओर, इस विवाद के बीच ही 2022 में चीन ने सुरक्षा बलों की तैनाती में इजाफा कर दिया था और कई स्तर पर बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा था।
इसमें डोकलाम के नजदीक भूमिगत भंडारण केंद्र, पैंगोंग झील पर दूसरा पुल, सड़कें, गांव और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास एक दोहरे उद्देश्य वाले हवाई अड्डा और अनेक हेलीपैड का निर्माण भी शामिल है। रपट में यह भी दावा किया गया है कि चीन के पास फिलहाल पांच सौ परमाणु हथियार हैं और वह इनके भंडार में तेजी से बढ़ोतरी कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2030 तक चीन के पास एक हजार से ज्यादा परमाणु हथियार हो जाएंगे। पेंटागन की इस रपट से यह समझा जा सकता है कि दुनिया के सामने दिखने वाले चेहरे के बरक्स चीन कथनी और करनी के स्तर पर क्या चरित्र रखता है।
यह सही है कि भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर कुछ धुंधलके बताए जाते रहे हैं और यही वजह है कि दोनों देशों के बीच विवाद कई बार तीखा स्वरूप ले लेता है। क्या यह कोई ऐसी वजह हो सकती है कि कोई देश अपने पड़ोसी की सीमा में अवैध तरीके से घुसपैठ करे या उस पर कब्जा जमाने का प्रयास करे? स्वाभाविक ही भारत चीन की अवांछित हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देता है और इसका मकसद सिर्फ अपनी संप्रभुता का ही सम्मान करना है।
गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों में आमने-सामने की भिड़ंत बीते चार दशकों में एलएसी पर पहली घातक लड़ाई थी। उसके बाद से दोनों पक्षों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसके नतीजे में भारत और चीन ने कुछ बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी भी की है।
दरअसल, भारत अपने पक्ष की स्पष्टता के साथ जब दबाव बनाता है तब सीमा पर तनाव कम करने के लिए चीन बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर सहमति जताता है। जबकि एलएसी पर चीन की गतिविधियां उसका असली चेहरा सामने कर देती हैं। पेंटागन की रपट ने चीन के इसी रवैये को उजागर किया है।