मास्को में हुए आतंकी हमले से एक बार फिर यही रेखांकित हुआ है कि तमाम दावों और उपायों के बावजूद आतंकवाद दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। दरअसल, आतंकियों ने रूस की राजधानी में हमला कर अपनी मौजूदगी जाहिर की है। गौरतलब है कि शुक्रवार रात मास्को के क्राकस सिटी हाल में एक समारोह की शुरुआत के ठीक पहले कुछ आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक सौ पंद्रह लोगों की जान चली गई और भारी संख्या में लोग घायल हो गए। मरने वालों में कई बच्चे भी हैं।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने गोलीबारी की जिम्मेदारी ली
अभी यूक्रेन और रूस के बीच पिछले करीब दो वर्ष से युद्ध चल रहा है, इसलिए एक स्वाभाविक आशंका है कि यह हमला इसी की कड़ी हो सकता है। मगर यूक्रेन ने इस हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया, वहीं खबरों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर एक खौफनाक आतंकी संगठन माने जाने वाले इस्लामिक स्टेट ने इस गोलीबारी की जिम्मेदारी ली। अब आगे की व्यापक पड़ताल के बाद ही पता लगाया जा सकेगा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उसका मकसद क्या था।
हैरानी है कि रूस के जिन इलाकों को सबसे सुरक्षित माना जाता रहा है, वहां भी आतंकियों ने बर्बर हमला करके एक तरह से बड़ी चुनौती पेश की है। इस संदर्भ में अमेरिका का कहना है कि उसने रूस में ऐसे हमले की आशंका जताई थी, लेकिन लगता है कि रूस ने उस पर गौर नहीं किया। पिछले कुछ दशकों में दुनिया ने जिस तरह का आतंकवाद देखा है, उसके मद्देनजर अगर कहीं से केवल आशंका ही जाहिर की जाती या खुफिया सूचना मिलती है तो उसके बाद सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि शायद किसी आतंकी हमले को रोका जा सके।
आतंकवादी संगठनों की कार्यशैली से दुनिया परिचित है कि उनका मकसद सिर्फ मानवता के विरुद्ध आतंक फैलाना है, भले इसके लिए अनगिनत निर्दोष लोगों, यहां तक कि मासूम बच्चों का भी कत्लेआम करना पड़े। असली चुनौती सरकारों के लिए है कि वे तमाम संसाधनों और सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद ऐसे आतंकी हमलों को रोक पाने में कैसे चूक जाती हैं। आतंकवाद को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस और साझा प्रयास की जरूरत है।