दिल्ली के मीराबाग इलाके में बुधवार को एक बेलगाम एसयूवी कार ने कई वाहनों को टक्कर मारी और नौ लोगों को कुचल दिया। इसमें एक लड़की की जान चली गई। यह घटना राजधानी में आए दिन होने वाले सड़क हादसों की एक कड़ी भर है। सच यह है कि ऐसे बेलगाम वाहनों की वजह से सड़कें अब पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी हैं। यह समझना मुश्किल है कि हर रोज ऐसी दुर्घटनाओं और उनके भयावह नतीजों की खबरें आम होने के बावजूद बाकी वाहनों के मालिक या चालक कोई सबक लेना जरूरी क्यों नहीं समझते! सड़क पर दौड़ती गाड़ी मामूली गलती से भी न केवल दूसरों की जान ले सकती है, बल्कि खुद चालक और उसमें बैठे लोगों की जिंदगी भी खत्म हो सकती है। पर लगता है कि सड़कों पर बेलगाम गाड़ी चलाना कुछ लोगों के लिए शौक का मामला होता है। ऐसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं, जिनमें गाड़ी में सवार लोगों की मौज-मस्ती की वजह से हादसे हो जाते हैं और नाहक कई लोग मारे जाते हैं।

दरअसल, ये कोई इक्का-दुक्का घटनाएं नहीं हैं, जिनकी इतने बड़े देश और सड़कों के बड़े जाल के मद्देजर अनदेखी की जा सके। ये रोजमर्रा के आम हो चुके हादसे हैं, जिनमें मरने वालों की तादाद चिंताजनक स्तर पर जा पहुंची है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल देश भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना चार सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई। इन हादसों में मारे जाने वाले लोग आमतौर पर गाड़ियों में बैठे चालकों की बेहद मामूली लापरवाही के शिकार हो जाते हैं। सड़क पर वाहन चलाने से संबंधित नियम-कायदों का सख्ती और सावधानी से पालन करके गाड़ी चलाने वाला न केवल दूसरे बहुत सारे लोगों का सफर सुरक्षित बना सकता है, बल्कि अपने जिंदा रहने को लेकर भी निश्चिंत रह सकता है। मगर ऐसा लगता है कि यातायात नियमों का पालन करना कुछ लोग दोयम दर्जे का काम समझते हैं। इस मानसिकता वाले लोग आमतौर पर धन-संपत्ति और महंगी गाड़ियों पर अपना मालिकाना होने की शान में जीते हैं। ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं कि नियमों के उल्लंघन की एवज में पुलिस की पकड़ में आने वाले लोग बिना झिझक जुर्माना चुका कर अपनी गलती के असर को खत्म हुआ मान लेते हैं।

आजकल महंगी गाड़ियों को सड़कों पर तेज रफ्तार में चलाना एक फैशन की तरह देखा जाता है। सड़क पर तेज गति से चलते वाहन एक तरह से हत्या के हथियार होते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस पर तल्ख टिप्पणी कर चुका है कि ड्राइविंग लाइसेंस किसी को मार डालने के लिए नहीं दिए जाते। बेलगाम वाहन चलाने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि हादसों से संबंधित कानूनी प्रावधान अभी इस कदर कमजोर हैं कि किसी की लापरवाही की वजह से दो-चार या ज्यादा लोगों की जान चली जाती है और आरोपी को कई बार थाने से ही छोड़ दिया जाता है। दो-तीन साल की अधिकतम सजा की व्यवस्था भी विचित्र है। जाहिर है, जब तक सड़क पर वाहन चलाने को लेकर नियम-कायदों पर अमल के मामले में ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अमल नहीं होगा और हादसों की स्थिति में चालकों के खिलाफ सख्त और असर डालने वाले कानूनी प्रावधान तय नहीं किए जाएंगे, तब तक सड़क पर बेलगाम होकर गाड़ी चलाने वाले लोगों के भीतर जिम्मेदारी नहीं पैदा की जा सकेगी।