कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के प्रशासनिक ठिकाने पर आतंकी हमले से एक बार फिर पाकिस्तान के नापाक इरादे जाहिर हुए हैं। इस हमले में भारतीय सेना के सत्रह जवान मारे गए और करीब तीस घायल हो गए। हमलावरों की पहचान जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती दस्ते के रूप में हुई है। यह हमला सुबह करीब साढ़े पांच बजे ऐसे समय हुआ, जब कमान के कामकाज की अदली-बदली हो रही थी। आतंकियों ने सेना के शिविर पर ग्रेनेड से हमले किए, जिससे उसमें सो रहे जवान और उनके परिजन भी हताहत हो गए। यह सेना के शिविर पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।

कुछ दिनों पहले इसी तरह पुंछ के सैनिक शिविर पर भी हमला किया गया था, मगर उसमें कोई भारी नुकसान नहीं हुआ था। इस साल जनवरी में पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर भी आतंकियों ने हमले किए थे, जिसमें सात जवानों की मौत हो गई थी। इन तमाम घटनाओं में पाकिस्तान में चल रहे आतंकी संगठनों के हाथ होने की पुष्टि हो चुकी है। उरी के जिस सैनिक ठिकाने पर ताजा हमला हुआ वह नियंत्रण रेखा से सटा हुआ है। वहां ऊंचे पहाड़ों, जंगल और दरिया की वजह से घुसपैठियों पर नजर रखना मुश्किल काम है। इसी का फायदा उठा कर पाकिस्तानी सेना आतंकी घुसपैठ कराने में कामयाब हो जाती है। ताजा हमले की प्रकृति को देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि पाकिस्तानी सेना की मदद के बिना यह संभव नहीं था। भारत सरकार ने इस हमले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने का संकल्प दोहराया है। मगर पाकिस्तान पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा।

कश्मीर घाटी में पिछले करीब सत्तर दिनों से तनावपूर्ण माहौल है। कर्फ्यू और हिंसा के बीच जन-जीवन ठप है। घाटी का ऐसा माहौल पाकिस्तान को हमेशा मुफीद जान पड़ता है और वह आतंकवादियों की घुसपैठ करा कर अपने मंसूबे को अंजाम देने की कोशिश करता है। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद भारत-विरोधी गतिविधियों की एलानिया तैयारियां कर रहा था, उससे पहले से आशंका जताई जा रही थी कि वह किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकता है। उरी सेक्टर और पुंछ में नियंत्रण रेखा पर हमेशा तनाव का माहौल बना रहता है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि वहां ज्यादा चौकसी बरती जाएगी। पर सवाल है कि चार आतंकी ग्रेनेड से हमले करने में कामयाब कैसे हो गए। इस हमले के बाद उचित ही सेना और सुरक्षा को लेकर व्यावहारिक नीति बनाने की बात उठने लगी है।

पिछले दिनों पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को धमकाया कि अगर वह किसी सैनिक कार्रवाई का प्रयास करेगा, तो उसे हमारे परमाणु हथियारों का कहर झेलने को तैयार रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों से लगातार दोहराते रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और उसे रोकने का हर प्रयास होना चाहिए। पिछले हफ्ते यह भी संकल्प दोहराया गया कि आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद के स्रोतों को खत्म करने की कोशिश की जाएगी। इन तमाम मंसूबों, अंतरराष्ट्रीय दबावों और सैनिक मुस्तैदी के बावजूद अगर पाकिस्तान पर कोई असर नहीं दिख रहा, वह अपने यहां संरक्षण पाए आतंकवादी संगठनों पर नकेल कसने को तैयार नहीं दिख रहा, वह भारत के खिलाफ उनका इस्तेमाल कर रहा है, तो भारत को इससे निपटने के लिए किसी कारगर तरीके पर विचार करने की जरूरत है।