दिल्ली में अमूमन पूरे वर्ष प्रदूषण की गहराती समस्या को लेकर चिंता जताई जाती रहती है। इस संकट पर काबू पाने के लिए हर समय सरकार की ओर से कोई न कोई अभियान चलाया जाता है। मगर हालत यह है कि दिल्ली की हवा में शायद ही कभी सुधार होने की खबर आती है।

आए दिन यहां प्रदूषण की वजह से आम लोगों की सेहत के सामने कई तरह की मुश्किलें चिंता का कारण बनती है। अब एक बार फिर दुनिया भर में प्रदूषण के गहराते संकट के मद्देनजर किए गए एक अध्ययन में दिल्ली को दुनिया भर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी माना गया है।

स्विट्जरलैंड के एक संगठन ‘आइक्यूएअर’ की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषित हवा के मामले में दुनिया भर में तमाम देशों की राजधानियों में दिल्ली सबसे ऊपर है और बिहार का बेगूसराय विश्व का सबसे प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट के अनुसार, समूची दुनिया में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद भारत तीसरे स्थान पर है, जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के मुकाबले हवा में पीएम-5 या सूक्ष्म जहरीले तत्त्वों की मात्रा दस गुना ज्यादा पाई गई है।

सवाल है कि देश की राजधानी होने के बावजूद दिल्ली में यह स्थिति बीते कई वर्षों से लगातार कैसे और क्यों बनी हुई है और प्रदूषण पर काबू पाने के लिए लगातार किए जाने वाले प्रयासों का हासिल आखिर क्या है? हालत यह है कि लोग साफ-साफ महसूस करते हैं कि हवा में घुले जहरीले तत्त्व से गहराते संकट की वजह से दम घुटने तक की नौबत आ जाती है और कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं।

जाहिर है, ताजा रिपोर्ट के बाद प्रदूषण की गहराती समस्या और हवा में घुले विषैले तत्त्वों को लेकर एक बार फिर चिंता जताने का दौर शुरू होगा और नए उपायों पर विचार किया जाएगा। मगर विडंबना यह है कि बढ़ते प्रदूषण या हवा में जहरीले सूक्ष्म कणों के घुलने के वास्तविक स्रोतों की पहचान कर उस पर काबू पाने या रोक लगाने को लेकर शायद ही कोई ठोस कदम उठाने की कोशिश की जाती है। केवल औपचारिक या फिर दिखावे के अभियानों के जरिए दिल्ली या देश को प्रदूषण की चिंताजनक जकड़बंदी से कैसे बाहर लाया जा सकेगा?