वायु प्रदूषण से बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। इससे पैदा होने वाली बीमारियों के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के तथ्य उजागर हैं। कई मौकों पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण और सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली सहित समीपवर्ती राज्यों को इस पर काबू पाने का निर्देश दे चुके हैं। सरकारें इससे पार पाने के लिए अनेक उपाय आजमा चुकी हैं, मगर हकीकत यह है कि शहरों की वायु गुणवत्ता सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ती ही गई है। एक ताजा रपट के मुताबिक देश के सौ प्रदूषित शहरों में हरियाणा के चौबीस में से पंद्रह शहर सर्वाधिक प्रदूषित पाए गए हैं। इनमें फरीदाबाद सबसे प्रदूषित शहर है।
फरीदाबाद के बाद, गुरुग्राम की वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब है
वहां पीएम 2.5 का स्तर एक सौ तीन माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक दर्ज किया गया, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार यह पांच माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि ऐसे वातावरण में लोगों को सांस लेने में कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा और उनकी सेहत पर कैसा असर पड़ता होगा। यह स्थिति तब है, जब फरीदाबाद राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का हिस्सा है। हरियाणा के बाकी शहर इसका हिस्सा नहीं हैं। फरीदाबाद के बाद, गुरुग्राम की वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब है। वहां पीएम 10 का स्तर राज्य में सबसे अधिक है।
हरियाणा में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजहें साफ हैं। दिल्ली से सटा होने के कारण बाहर से आने वाले ज्यादातर वाहन किसी न किसी रूप में इसके भीतर से होकर गुजरते हैं। दूसरे, हरियाणा के हर शहर में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर दिया गया। इसके चलते वहां औद्योगिक क्षेत्र का निरंतर विकास होता जा रहा है। इससे शहरी आबादी और वाहनों की आवाजाही लगातार बढ़ती गई है। औद्योगिक इकाइयों और वाहनों का धुआं वातावरण को तेजी से प्रदूषित कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में जब हवा संघनित होकर पृथ्वी की सतह के पास सिमट आती है, तो प्रदूषण और घना हो जाता है। उस वक्त लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है।
दिल्ली में तो इस समस्या के चलते स्कूल-कालेज तक बंद करने पड़ जाते हैं। जगह-जगह पानी की फुहार छोड़ने वाले यंत्र लगाने पड़ते हैं। दिल्ली दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन चुका है। दिल्ली सरकार हर वर्ष इस समस्या से पार पाने की रणनीति बनाती है, मगर अब तक उसे इस दिशा में कामयाबी नहीं मिल पाई है। जब वायु प्रदूषण बढ़ने से परेशानियां बढ़ जाती हैं, तो सरकारें एक-दूसरे पर दोषारोपण भी शुरू कर देती हैं।
मगर हकीकत यह है कि वायु प्रदूषण अब किसी एक राज्य की समस्या नहीं रह गई है। कमोबेश सारे राज्य इससे प्रभावित हैं। वायु प्रदूषण किसी एक क्षेत्र तक सीमित रहने वाली समस्या है भी नहीं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में प्रदूषण बढ़ता है, तो दिल्ली पर भी उसका प्रभाव पड़ता ही है। इसी तरह दिल्ली का प्रदूषण हरियाणा के सीमावर्ती शहरों पर भी प्रभाव डालता है। इसलिए अपेक्षा की जाती है कि इस समस्या से पार पाने के लिए समन्वित प्रयास किए जाने चाहिए।
एक-दूसरे पर दोषारोपण करके या इस समस्या को राजनीतिक रंग देकर दूर नहीं किया जा सकता। इसमें औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही भी तय करना जरूरी है। मगर विचित्र है कि सरकारें शहरी और औद्योगिक विकास पर तो जोर देती हैं, मगर प्रदूषण से पार पाने के उपायों पर वैसी गंभीरता नहीं दिखातीं।