शहरों-महानगरों में सार्वजनिक परिवहन की सीमाओं की वजह से आम आदमी आवश्यकता पड़ने पर ऐप आधारित कंपनियों के वाहनों से अपने गंतव्य तक आवाजाही कर लेता था। मगर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के नए दिशा-निर्देश लागू होने के बाद ऐसे वाहनों से सफर महंगा होने की स्थिति में अब लोगों को सोचना पड़ेगा।
अव्वल तो व्यस्त समय को कारण बना कर समान दूरी तक सफर के लिए दोगुना किराया लेना अनुचित है, फिर यह बेहद निराशाजनक है कि पहले ही महंगाई के बोझ से दबे आम लोगों पर किराए की मार के साथ-साथ बुकिंग रद्द कर देने पर जुर्माना लगाने का नियम भी सख्त कर दिया गया है।
अक्सर कैब कंपनियों की गाड़ियां समय पर नहीं आती हैं
यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। इससे यात्रियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी, क्योंकि अक्सर ऐसा पाया गया है कि कैब कंपनियों की गाड़ियां समय पर नहीं आतीं। ऐसे में लोगों को विवश होकर अपनी बुकिंग रद्द करनी पड़ती है। वहीं चालकों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। वे कई बार यात्रा का डिजिटल भुगतान करने पर जोर देते हैं और पसंद का गंतव्य न मिलने पर खुद भी बुकिंग रद्द कर देते हैं।
हालांकि अब ऐसे चालकों की नकेल कसने के लिए उन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है, लेकिन चिंता की बात यह है कि राज्य सरकारों को नए दिशा-निर्देश लागू करने की सलाह के बाद आम लोगों पर ही इसका आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
व्यस्त समय में किराया बढ़ाने का चलन नया नहीं है। मगर मूल्य निर्धारण का यह मनमाना तरीका आखिरकार यात्रियों की जेब पर भारी पड़ता है। कैब सेवा प्रदाता कंपनियों को दोगुना किराया लेने की अनुमति देने से पहले यात्रियों की शिकायतें सुनने और उन्हें दूर करने की जरूरत थी। हाल में आए एक सर्वेक्षण में आधे से अधिक यात्रियों का कहना है कि इन कंपनियों की सेवाएं बेहतर नहीं हैं।
कई बार तो गाड़ियों के लिए देर तक इंतजार करना पड़ता है। वाहनों की साफ-सफाई और चालकों के खराब व्यवहार पर भी लोग प्राय: सवाल उठाते रहे हैं। अचानक किराया बढ़ा दिए जाने से लोग पहले ही परेशान थे। अब तो सीधे-सीधे लोगों की जेब से दोगुना किराया वसूलने की व्यवस्था थोप दी गई है। नए दिशा-निर्देश से आखिरकार आम लोगों को ही नुकसान होगा।