पश्चिमी यूपी में कई कुख्यात माफिया हुए, जिन्होंने अपना दबदबा कायम रखा। वहीं बलराज भाटी नाम का एक गैंगस्टर ऐसा था, जो पहले दिल्ली पुलिस में सिपाही था। बलराज भाटी, अपराध के उस शीर्ष तक पहुंच गया था; जहां उसे किसी का डर नहीं था। यहां तक कि उसने हत्या के मामले में एक चश्मदीद गवाह को भरी कचहरी में मौत के घाट उतार दिया था।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के शिवनगर ढूंसरी गांव में जन्मा बलराज शुरू से ही अक्खड़ क़िस्म का था। छोटे-मोटे झगड़े उसके लिए लिए आम बात थी, लेकिन गांव के ही रसूखदार आदमी पप्पू उर्फ कटार सिंह की बेइज्जती उसे चुभ गई थी। बताते हैं कि बलराज अपने जीजा के साथ गांव के ही तालाब में मछली पकड़ने गया था पर यहां पप्पू उर्फ कटार सिंह ने मछलियां पाल रखी थी। ऐसे में पप्पू ने बलराज को पीट दिया था।
पप्पू उर्फ कटार सिंह की घटना को कई साल बीत गए और 1989 में बलराज दिल्ली पुलिस में सिपाही हो गया। नौकरी को एक साल ही हुआ था कि बलराज का नाम गांव के ही एक व्यक्ति की हत्या में सामने आया और वह जेल चला गया। बलराज को शक था कि उसे इस केस में पप्पू ने ही रसूख के दम पर फंसाया है।
जेल जाने के बाद बलराज की मुलाकात कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी से हुई। सुंदर भाटी से प्रेरित होकर उसने अपने नाम में भी भाटी लगा लिया और उसकी गैंग में शामिल हो गया। बस यही से उसकी जिंदगी बदल गई। साल 2007 में उसे दिल्ली पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया। सुंदर भाटी के जेल में रहते हुए उसका गैंग जतन सिरोही चला रहा था, लेकिन 2008 में जतन एक एनकाउंटर में मार दिया गया।
जतन की मौत के बाद बलराज ही सुंदर भाटी गैंग को ऑपरेट करने लगा। इन सालों में बलराज ने रंगदारी, लूट और सुपारी किलिंग जैसी कई घटनाओं को धड़ल्ले से अंजाम दिया। पुलिस की नजर में रहने के बावजूद वह बचता रहा। साल 2012 में बलराज भाटी का नाम तब चर्चा का विषय बना जब उसने पप्पू उर्फ कटार सिंह और उसकी पत्नी को एके-47 से भून दिया।
इसके अलावा, साल 2014 में बलराज भाटी का नाम नगर पंचायत दादरी की चेयरपर्सन गीता पंडित और भाजपा नेता विजय पंडित की हत्या में भी सामने आया। साथ ही उसने कटार सिंह हत्या के मामले में चश्मदीद गवाह को भी कचहरी में पुलिस के सामने गोली मारकर हत्या कर दी। अगले कुछ सालों में बलराज का आतंक अब पश्चिमी यूपी से आगे बढ़कर दिल्ली और हरियाणा तक पहुंच चुका था। अब तक बलराज पर पुलिस के द्वारा ढाई लाख का इनाम भी घोषित कर दिया गया था।
बलराज भाटी पर दर्जनों केस दर्ज थे पर वह पुलिस की पकड़ से दूर था। साल 2018 में 23 अप्रैल को पुलिस को सूचना मिली कि बलराज अपने कुछ साथियों के साथ नोएडा की तरफ आ रहा है। ऐसे में यूपी एसटीएफ और हरियाणा एसटीएफ ने बलराज भाटी को नोएडा के सेक्टर 49 में घेर लिया। पुलिस के घेरे जाने पर बलराज भाटी की कार एक डिवाइडर से टकरा गई और वह भागने लगा। इसी बीच दोनों तरफ से हुई भीषण गोलीबारी में बलराज भाटी को मार गिराया गया।