फूलन देवी एक ऐसा नाम है, जिसे उसकी मौत के 21 साल बाद भी खौफ का दूसरा नाम कहा जाता है। अपने जीवन में हुए अत्याचारों से आजिज आकर फूलन ने जुर्म की राह चुन ऐसी अपराध गाथा लिखी जिसके किस्से आज भी चंबल के इलाकों में सुनाए जाते हैं।
फूलन देवी का जन्म यूपी के जालौन के एक छोटे से गांव गोरहा में 10 अगस्त 1963 को बेहद गरीब परिवार में हुआ था। पिता मजदूर थे और उनके पास में एक एकड़ जमीन थी। लेकिन इस जमीन के टुकड़े को लेकर अक्सर उनके चाचा और पिता जी में झगड़ा हुआ करता था। एक बार इसी जमीन को लेकर झगड़ा हुआ और फूलन ने चचेरे भाई को पीट दिया था।
फूलन के इस गुस्से की सजा परिवार वालों ने उसकी शादी 10 साल की उम्र में कराकर दे दी। फूलन 10 साल की थी तो वहीं उसके पति की उम्र 40 साल के करीब थी। फूलन ने शादी से मना किया था, लेकिन उसकी एक न चली। शादी के बाद फूलन के साथ ससुराल में अत्याचार हुआ तो वह अपने घर भाग आई।
कहा जाता है कि फूलन को कुछ डाकू उठा ले गए, लेकिन फूलन की आत्मकथा में इस बात को कभी स्पष्ट नहीं किया गया। फूलन ने बताया कि वह कुछ समय बाद डाकुओं के संपर्क में आ गई थी। हालांकि, फूलन की गैंग का सरदार गुज्जर उस पर बुरी नियत रख रहा था, जिसे मारकर डाकू विक्रम मल्लाह ने फूलन का रास्ता साफ़ कर दिया। इसके बाद डाकू विक्रम और फूलन ने अलग गैंग बना लिया।
दूसरी तरफ गुज्जर की मौत से झल्लाए डाकू लाला राम ठाकुर और श्री राम ठाकुर की गैंग ने विक्रम मल्लाह को मार दिया और फूलन के साथ तीन हफ़्तों तक बलात्कार किया। जब वह किसी तरह चंगुल से छूटी तो 1981 में बेहमई गांव पहुंची और 22 सवर्ण जाति के लोगों को लाइन में खड़ाकर गोली मार दी। इस घटना ने उसे देश की सबसे खूंखार डकैत के रूप में पहचान दी।
साल 1983 में फूलन देवी ने इंदिरा गांधी की अपील पर एमपी पुलिस के सामने शर्तों के साथ आत्मसमर्पण किया। फूलन पर 30 डकैती, 18 अपहरण व 22 हत्या के केस दर्ज हुए और फूलन ने 11 साल जेल में गुजारे। साल 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो फूलन पर से सभी केस वापस लेने का फैसला किया गया। राजनीतिक रूप से यह बड़ा फैसला था, लेकिन 1994 में फूलन जेल से छूट गई।
फूलन ने जेल से बाहर आकर उम्मेद सिंह के साथ शादी की। इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मिर्जापुर से सांसद बनी। फूलन 1998 के चुनावों में हारी तो 1999 के चुनावों में फिर से जीत गई। वहीं साल 2001 में फूलन की हत्या शेर सिंह राणा नाम के शख्स ने दिल्ली में उनके आवास के बाहर कर दी। पकड़े जाने के बाद शेर सिंह राणा ने बताया कि वह बेहमई कांड का बदला पूरा कर लिया, वहीं उसे साल 2014 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।