आज से दशकों पहले जब टीएन शेषण ने वोटर आइडी बनाने को अनिवार्य किया, तो लालू यादव बिफर पड़े थे। उनका कहना था कि गरीब अपनी झोपड़ी की छत में कागजात खोंस कर रखता है। आग से जलने और बाढ़ में डूबने से यह खो जाएगा और गरीब वोट देने से वंचित रह जाएगा। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। अंतत: वोटर कार्ड बना और कुछ सालों में ही गरीब गुरबा भी इसका महत्त्व समझ गया। वोट के अलावा भी अन्य उपयोग के लिए इसे सहेज कर रखने लगा। आधार और वोटर कार्ड को जोड़ने का विरोध इस दलील के साथ की जा रही है कि इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होगा। इसके खिलाफ माननीय सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का उदाहरण बार-बार दिया जा रहा है।
कांग्रेस, ओवैसी समेत तकरीबन पूरा विपक्ष इस लिंकिंग के खिलाफ है, क्योंकि इसके कारण फर्जी और गलत वोटर गायब हो जाएंगे, जो निश्चय ही विपक्ष के वोटर हैं। जहां तक निजता के उल्लंघन का भय है, तो इस डिजिटल युग में सरकार चाहे तो बिना आधार, पैन, वोटर कार्ड के भी आपके बेडरूम तक पहुंच सकती है। विपक्ष की मंशा साफ होती, तो वह कह सकता था कि चलो ठीक है, अब सारे फर्जी वोटर छंट गए और मैदान में दो-दो हाथ असली वोटरों के बल पर ही होगी, लेकिन वे हताश हैं और उनमें ऐसा कहने का माद्दा नहीं।
’नरेंद्र राठी, मेरठ</p>
समझ से परे
‘चीन का पैंतरा’ देश की सामयिक चिंता पर सशक्त संपादकीय है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है। भारत के एक बड़े भूभाग पर चीन पहले ही अनधिकृत कब्जा जमाए बैठा है। मकाऊ, ताइवान, दक्षिणी मंगोलिया, तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और हांगकांग को लेकर भी चीन की नीतियां और हरकतें दुनिया देखती आई है। छियानबे लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले देश को और कितनी भूमि चाहिए? समझ से परे है कि साम्राज्यवाद के दुष्परिणामों से चीन अनजान है या ऐसा करके वह पड़ोसी देशों को सिर्फ तनाव में रखना चाहता है?
’संतोष सुपेकर, उज्जैन
बहकाऊ बयान
यूपी में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनेता अजीब भाषण दे रहे हैं। ऐसे भाषणोेंं सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सबसे आगे हैं। कन्नौज में प्रेस कान्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार होती तो अब तक मंदिर बन गया होता। अखिलेश का बयान कहीं न कहीं हास्यास्पद है। यूपी सहित देश की जनता को पूरी तरह पता है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने को लेकर समाजवादी पार्टी की सोच क्या रही है। मुसलिम वोट पाने के लालच में हमेशा से सपा राम मंदिर का विरोध करती आई है, यह जगजाहिर है। अगर अखिलेश को भगवान राम के मंदिर बनाने की इतनी ही चिंता थी, तो कभी मुख्यमंत्री रहते एक शब्द मंदिर निर्माण के लिए बोल देते। उन्हें समझ लेना चाहिए कि वक्त बदल चुका है। अब यूपी की जनता अच्छा बुरा सब समझती है। पहले की भांति बहकावे में नहीं आती।
’नितेश मंडवारिया, वाराणसी