इन दिनों श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल लगा है। उसकी आर्थिक हालत खराब है। इसका कारण है, चीन से कठोर शर्तों पर लिया गया कर्ज। इसके अलावा लोकलुभावन योजनाएं और नीतियां हैं, जो आर्थिक नियमों को धता बता कर चलाई गर्इं और कर्ज बढ़ने और विदेशी मुद्रा भंडार खाली होते जाने के बाद भी इन नीतियों को आगे बढ़ा कर श्रीलंका ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया। इससे जहां एक ओर जनता का असंतोष बढ़ता जा रहा है, वहीं राजनीतिक अस्थिरता भी गहराती जा रही है।

आज बढ़ती महंगाई के कारण श्रीलंका भारत की तरफ हसरत भरी निगाहों से देख रहा है। भारत ने भी उसे निराश नहीं किया है। श्रीलंका को हर तरह की मदद की जा रही है। वैसे भी भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों की मदद को हमेशा तैयार रहता है।
मनमोहन राजावत ‘राज’, शाजापुर

शोर की मीनारें

मस्जिदों या मंदिरों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होना चाहिए या नहीं, इस विषय पर पिछले कुछ सालों से बहस होती रही है। लाउडस्पीकर चाहे मस्जिद में बजे या मंदिर में, आसपास रहने वालों को इसके शोर से परेशानी तो होती ही है। इसके शोर से न केवल बुजुर्गों, बल्कि विद्यार्थियों और आम आदमी को भी परेशानी होती है, लेकिन मामला धार्मिक होने के कारण कोई भी इस समस्या के खिलाफ आवाज नहीं उठाता।

महाराष्ट्र में राज ठाकरे जैसे लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए इन समस्याओं को बढ़ावा देते हैं। मस्जिदों और मंदिरों की देखभाल करने वाले लोगों को इस समस्या की गंभीरता को समझना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लाउडस्पीकर की आवाज उतनी ही हो जितने से मस्जिद या मंदिर परिसर में उपस्थित लोग सुन सकें।

चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली</p>

उन्नत विद्यालय

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती से स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ कर प्राथमिक विद्यालयों का गौरव बढ़ाया है। विद्यालयों में व्यवस्था सुधरने की आस जगी है। पहले इन्हीं विद्यालयों में ककहरा सीखने वाले गांव के बच्चे आइएएस और पीसीएस अधिकारी तथा केंद्रीय नेतृत्व तक के पद को सुशोभित करते रहे हैं, पर पाश्चात्य संस्कृति के आकर्षण ने लोगों को स्वार्थी और समाज से विमुख कर दिया।

नतीजा, आज गांव के विद्यालय और विद्यार्थी दोनों को उपेक्षा की नजरों से देखा जा रहा है, जो समाज और देशहित में नहीं है। समाज के सक्षम और गणमान्य लोगों को सामूहिक प्रयास कर गांव के विद्यालयों की उन्नति में सहभागिता के लिए आगे आना चाहिए तभी आने वाली पीढ़ियां गांधीजी के सपनों के भारत को साकार कर पाएंगे।
पवन कुमार मधुकर, रायबरेली