चीन की मनमानी जारी है। चाहे सीमा पर हो या अन्य देशों में दखल की। चीन सरकार मस्जिदों से गुंबद और मीनारें हटा कर उन्हें चीनी स्वरूप दे रही है। उन्हें चीनी संस्कृति के अनुसार डिजाइन कर रही है, ताकि अल्पसंख्यकों के प्रतीकों को खत्म किया जा सके। हालांकि यह चीन का अंदरूनी मामला है, पर अगर ऐसा किसी दूसरे देश ने किया होता, तो बवाल मच जाता, क्योंकि दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में परायों को बड़ा मजा आता है, विशेषकर भारत के विरुद्ध। लेकिन चीन के खिलाफ आग उगलने का साहस नहीं है, क्योंकि चीन ने न केवल चांदी के जूते मार रखे हैं, बल्कि वह र्इंट का जवाब पत्थर से देना जो जानता है। तानाशाह की मनमानी से सभी परेशान हैं, जुल्म, अत्याचार करने से गुरेज नहीं करता है। लेकिन दुख तो इस बात का है कि चीन के इस ताजा कदम पर मुसलिम देश भी चुप्पी साधे हुए हैं, जुबान पर दही जम गया है। यही मुसलिम देश भारत या अन्य देशों के खिलाफ छोटी-छोटी बात पर आग उगलने, विरोध करने से बाज नहीं आते हैं।
’हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’, उज्जैन
प्रचार का प्रभाव
अभिनेता शाहरुख खान के बेटे की गिरफ्तारी और जमानत सुर्खियां बनी हुई है। नशीली दवाओं के सेवन के आरोप में जेल जाना और लगभग एक महीने तक राष्ट्रीय समाचारों में सुर्खियां बटोरना क्या एक तेईस वर्षीय युवक को माध्यम बना कर नशीली दवाओं के दुरुपयोग का विज्ञापन नहीं है? क्या रात-दिन चलती यह कहानी युवा वर्ग को आकर्षित नहीं करेगी?
यह केवल नशे से जुड़ा मुद्दा है और इसके उपयोगकर्ता आर्यन खान को रोगी के रूप में देखने की जरूरत है। हमें यह भी समझने की जरूरत है कि कम आयु में ही बच्चे ड्रग्स के आदी क्यों और कैसे हो रहे हैं।
’परमवीर ‘केसरी’, मेरठ</p>