एक समय था जब शक्तिशाली देश हम पर दबाव बनाकर विदेश नीति को प्रभावित करते थे, लेकिन अब बदले राजनीतिक वातावरण में भारतीय विदेश नीति अपने सर्वोच्च शिखर पर है। बिना किसी दबाव के, तटस्थ रह कर देश हित में आगे बढ़ रहे हैं। बात अफगातिस्तान की उथल-पुथल की हो या रूस-यूके्रन युद्ध की, पूरे विश्व की नजर भारत के रुख पर रही है।

अनेक देश भारतीय विदेश नीति की खूब तारीफ करते दिखे और युद्ध के हालत के बावजूद रूस से लेकर ब्रिटेन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ और जर्मनी जैसे देशो में हमारे देश के साथ मित्रता और व्यापार बढ़ाने की होड़-सी लगी है। यह सब देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि देश एक सही दिशा में चल रहा है और आने वाले समय में निश्चित ही हमारा देश विश्वगुरु की भूमिका में रहने वाला है।
सुनील विद्यार्थी, मेरठ</p>

अमेरिका में रूढ़िवाद

डोनाल्ड ट्रंप आज भले सत्ता में नहीं हैं, मगर वे विभाजन के कुछ ऐसे बीज बोकर गए हैं कि समूचा अमेरिका, एकदम भीतर तक विभाजित दिखाई दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट दस्तावेज के एक अभूतपूर्व मसौदे के अनुसार, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट गर्भपात के राष्ट्रव्यापी कानूनी अधिकार को खत्म करता दिखाई दे रहा है। छह हफ्ते बाद गर्भपात के अधिकार को वैसे ही रिपब्लिकन शासित प्रदेशों से खत्म किया जा रहा है।

अब यह काम राष्ट्रव्यापी इसलिए होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि ट्रंप ने अपने कार्यकाल में शीर्ष अदालत में तीन रूढ़िवादी जजों की नियुक्ति कर दी थी। नौ जजों की अदालत में छह जज रूढ़िवादी हैं। इसलिए ये छहों मिलकर 1973 में, महिलाओं को मिले, उनके शरीर पर अधिकार को खत्म करने का मन बना चुका हैं। अगर ऐसा हुआ तो पूरे अमेरिकी समाज में, भूचाल आने से कोई रोक नहीं सकता।

अमेरिका जैसे उन्नत समाज कभी इतना विभाजित नहीं था, जितना ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से हुआ है। हर तरह से आजाद मानसिकता वाला देश में महिलाओं को उनके शरीर पर अधिकार मिलना ही चाहिए। गर्भपात को रूढ़िवादियों ने नैतिकता और धर्म से जोड़ दिया है।

जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर

हिंसा का हल

पिछले कुछ समय से उपद्रवी तत्व सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ राज्यों में पथराव, आगजनी और हिंसा की वारदात हुर्इं, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को क्षति पहुंची। कतिपय आपराधिक या असामाजिक तत्व बेवजह दंगों को हवा देते रहते हैं। इन पर प्रशासन कड़ी निगरानी रखे।

पहले राजस्थान के करौली में सांप्रदायिक हिंसा हुई और अब जोधपुर में दंगा भड़का। राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटे, ताकि किसी तरह की अशांति न होने पाए।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर</p>