मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं- रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी का मतलब भोजन है। धरती पर जन्म लिए सभी जीवों के लिए भोजन सबसे प्रमुख आवश्यकता है। सभी जीवों को भोजन प्रकृति से प्राप्त होता है, चाहे वह अनाज, फल, सब्जी और दूध हो। इसलिए हमें भोजन को बर्बाद कर प्रकृति का अपमान नहीं करना चाहिए। सभी जीव अपनी आवश्यकता अनुसार ही भोजन ग्रहण करते हैं। एक मात्र मनुष्य ही भोजन बर्बाद करता है। यह याद रखा जाए कि भोजन का सम्मान नहीं करना खुद के खिलाफ ही है।

एक ओर पूरी दुनिया में भुखमरी और कुपोषण की समस्या बनी हुई है, तो दूसरी ओर दुनिया में सत्रह फीसद भोजन घरों, रेस्तरां और दुकानों में बर्बाद चला जाता है। हमारे देश में सबसे अधिक भोजन रसोईघर और थाली में बर्बाद हो रहा है। आम भारतीय घरों में एक-एक सदस्य साल भर में पचास किलो खाना बर्बाद कर देता है, जबकि देश की एक बड़ी आबादी भूखे मरने को मजबूर है। देश में शादी समारोह और अन्य पार्टियों में बड़े पैमाने पर भोजन की बर्बादी होती है।

भोजन की बर्बादी जलवायु परिवर्तन में सहायक सिद्ध हो रही है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का आठ से दस प्रतिशत भोजन की बबार्दी से जुड़ा हुआ है। हमारी संस्कृति में अन्न की पूजा होती है। इसके बावजूद लोग भोजन का अपमान कर रहे है। भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। स्कूल के पाठ्यक्रम में इस गंभीर विषय को शामिल करना चाहिए। भोजन का सम्मान कर हम पर्यावरण की रक्षा, पैसों की बचत और गरीबों की मदद एक साथ कर सकते हैं।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया, बिहार</p>

बदलता रुख

रोमन कैथोलिक पादरी पोप फ्रांसिस का इराकी दौरे के बारे में सुना तो हैरानी हुई। ठीक है कि इराकी सरकार ने अपनत्व का भाव दिखाते हुए पोप को आमंत्रित किया। मगर सबसे बड़ा सवाल उनकी सुरक्षा का था, क्योंकि उनका दौरा सिर्फ इराक तक सीमित नहीं था। वे प्राचीन शहर मोसुल भी गए। वे कराकास भी गए, जहां के सैकड़ों वर्ष पुराने गिरजाघर समेत अनेकों ऐतिहासिक धरोहरों को इस्लामिक स्टेट द्वारा जमींदोज कर दिया गया।

वहां उन्होंने शांति का संदेश दिया। क्या इसे बदलती अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के संकेत माना जा सकता है? आज इस्लामिक स्टेट के भय से इराक में ईसाइयों की संख्या घट कर एक चौथाई रह गई है। युद्ध जर्जर उस अशांत क्षेत्र में पोप ने एक बात बहुत अच्छी कही की ‘भ्रातृत्व हमेशा भ्रातृघातक से ज्यादा टिकाऊ होता है’। काश इराक में इस दौरे से शांति की स्थापना हो जाए।
’जंग बहादुर सिंह, जम्