राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा में चलने वाली मोटरबोट के संचालन पर पूरी तरह रोक लगाई हुई है, केवल सीमित संख्या में नावों की अनुमति है। इसके बावजूद कमाई की लालसा रखने वाले नाविकों की मनमानी से ब्रजघाट गंगा में सौ से भी अधिक मोटरबोट खुलेआम फर्रांटे भर कर ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलाती नजर आ रही हैं। गंगा के अन्य घाटों की भी यही स्थिति है। इसके चलते अमृतरूपी जल में प्रदूषण का जहर घुलने के साथ ही दुर्लभ जलीय जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा बढ़ता जा रहा है। मोटरबोट के नीचे पानी को धकेलने के लिए तेज धार वाले पंखे लगे होते हैं, जिनकी चपेट में आने से जलीय जीव-जंतुओं की मौत होना मुमकिन है, जिसके लिए एनजीटी और सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।
’नरेंद्र राठी, मेरठ

स्त्री सम्मान की सच्चाई

स्त्री को देवी के रूप में पूजने वाला अकेला बड़ा समाज भारत है। मगर हकीकत यह भी है कि रोजमर्रा के जीवन में हम स्त्रियों को सामान्य मनुष्य समझने का लोकाचार भी भूल जाते हैं। पिछले चार-पांच दशक में जैसे-जैसे महिलाओं के घर से बाहर निकल कर स्कूल-कॉलेज और नौकरियों में जाने, संगठित होने और अपने अधिकार हासिल करने की संभावना बनती गई, उनके दमन-उत्पीड़न के मामले भी बढ़ गए हैं। यौन उत्पीड़न भी इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। यौन उत्पीड़न के मामलों में आम प्रवृत्ति यही देखी जा रही है कि आरोपी ही नहीं, स्वयं उत्पीड़ित स्त्री का परिवार और पास-पड़ोस भी पहली कोशिश घटना को दबाने या कम करके बताने की करते हैं। केवल चरम हिंसा के मामले दुनिया के सामने आ पाते हैं, वह भी तब जब उन्हें छिपाना असंभव हो जाए। इसके आगे दिखाई देती है स्थानीय पुलिस से लेकर सत्ता के शीर्ष तक एक ऐसी हिसाबी प्रवृत्ति, जिसका मकसद दोषी को दंडित करने से ज्यादा खुद को दाग-धब्बों से बचाने का होता है। सोच कर देखें कि नारी सम्मान का सिरे से निषेध करने वाली इन प्रवृत्तियों के अपने बीच क्या हम एक देवी-पूजक समाज के रूप में अपना परिचय देने के अधिकारी हैं!
’कल्पना झा, फरीदाबाद

ऊर्जा संवर्द्धन

भारत वैश्विक ग्रिड को ठीक वैसे ही विकसित करना चाहता है जैसे कि उसने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की दिशा में काम किया था।  भारत ने जिस ‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड’ की संकल्पना को मजबूती देते हुए एक वैश्विक बिजली ग्रिड के निर्माण का प्रस्ताव रखा है, उसके तहत भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के एक सौ चालीस से अधिक देशों के मध्य सौरऊर्जा संसाधनों के साझा करने के मुद्दे पर वैश्विक सर्वसम्मति बनाने की योजना निर्मित की है।
’समराज चौहान, पूर्वी कार्बी आंग्लांग