जब से मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है, देश में सब कुछ ठीक नहीं है। सब तरफ अनिश्चितता का माहौल है। जिस तरह देश का मीडिया काम कर रहा है, उससे लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ के काम करने के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। हिंदुओं तथा मुसलमानों में खाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

कभी हिजाब, कभी अजान तो कभी मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़े जाने के स्थान को लेकर विवाद, मस्जिद-मंदिर में लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने पर विवाद आदि मामले मीडिया की सुर्खियां बनते जा रहे हैं। टीवी चैनल रात-दिन हिंदुओं तथा मुसलमानों में विवाद के झगड़े को दिखाते हुए हिंदुत्व के पक्ष में बोलते दिखाई देते हैं। हिंदुओं तथा मुसलमानों के जुलूस पर पथराव। कभी किसी जगह संप्रदायिक दंगे, तो कभी किसी जगह। ये दंगे देश को कलंकित कर रहे हैं।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है लेकिन जिस तरह हमारे देश में सोशल मीडिया यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि हिंदू धर्म केवल भाजपा राज्य में सुरक्षित है, उससे यह भावना पैदा करके भाजपा केवल राजनीतिक लाभ ही उठाने की कोशिश कर रही है। यह भी संभव है कि इस किस्म के विवाद देश की आम जनता को पेश आने वाली मुख्य समस्याएं जैसी बेकारी, गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, विकास दर का बहुत धीमा होना, पाकिस्तान तथा चीन के साथ संबंधों का बिगड़ना, कानून तथा व्यवस्था का बिगड़ना आदि से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही किया जा रहा है।

आम जनता ने राम जन्मभूमि, गंगा की सफाई, हिंदुत्व, मुसलमानों द्वारा नमाज के समय लाउडस्पीकर बजाना, मुसलमान लड़कियों का शिक्षा संस्थानों में बुर्का पहन कर जाना आदि बातों से क्या लेना है। उन्हें काम चाहिए, आमदनी में वृद्धि, भ्रष्टाचार से छुटकारा, महंगाई से मुक्ति, भ्रष्ट व्यवस्था से निजात, सच्ची शिक्षा, पर्याप्त स्वच्छ पीने का पानी आदि चाहिए। सरकार यह तो कर नहीं पाती। समस्याओं को हल करने के बजाय प्रत्येक समस्या की जिम्मेदारी पिछली सरकारों पर डालती है।

विपक्ष तो न के बराबर है और आपके पास केंद्र तथा बहुत सारे राज्यों में प्रचंड बहुमत है फिर आप देश के सम्मुख समस्याओं को हल क्यों नहीं कर पा रहे हैं। जो कोई भी सरकारी विचारों से सहमत नहीं होता इसके लिए आयकर विभाग, ईडी, सीबीआई आदि तैयार रहते हैं। जो सरकारी नीतियों से सहमत नहीं होता उन पर इनके छापे पड़ते हैं , क्या कोई एक ऐसा मामला आप बता सकते हैं जब सत्ता पक्ष से संबंधित किसी राजनेता के घर पर भ्रष्टाचार को लेकर छापा पड़ा हो।

कल तक जो व्यक्ति सरकार के खिलाफ थे, उन्हें भ्रष्ट कहा जाता था, सत्ता पक्ष के साथ हाथ मिलाने के बाद उनके खिलाफ सारी कार्रवाई बंद हो जाती है, ऐसा क्यों? क्या सत्ता पक्ष गंगा नदी है, जिसमें डुबकी लगाते ही सभी पाप धुल जाते हैं? देश का मीडिया, मंत्री गण, कार्यकर्ता आदि हर काम में प्रधानमंत्री का गुणगान करने के बाद ही अपनी वाणी शुरू करते हैं। अगर ऐसा है तो प्रधानमंत्री को बढ़ती कीमतों पर, भ्रष्टाचार, बेकारी, गरीबी, आमदनी में कमी आदि समस्याओं को हल करना चाहिए।

लोगों को इधर-उधर की बातों में नहीं बहलाना चाहिए। सत्ता पक्ष को यह याद रखना चाहिए कि कभी कांग्रेस की भी इसी तरह तूती बोलती थी। आश्वासन के भरोसे देश की समस्याओं को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं किया जा सकता।
शामलाल कौशल, रोहतक