तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर रही हैं, जिससे महामारी के कारण जारी बंदिशों से मुश्किलों का सामना करते आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है। कई शहरों में तेल की कीमतें 90-95 रुपए प्रति लीटर या सौ रुपए के भी पार है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट का रुख रहा।

शुरुआती कारोबार में ही कच्चा तेल तीन फीसद तक गिरा। यह अप्रैल के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। ज्यादातर राज्यों में पूर्णबंदी की वजह से अप्रैल-मई के महीने में तेल की मांग में कमी होने से सरकार को राजस्व में करोड़ों का नुकसान भी हुआ होगा। इसका एक आयाम यह भी है कि डॉलर के मुकाबले रुपया भी बहुत कमजोर हुआ है। पूरी दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल भारतीय रुपए के हिसाब से वेनेजुएला में 1.46 रुपए लीटर है, क्योंकि वहां पेट्रोल पर कर बहुत कम है, जबकि भारत में सबसे ज्यादा कर पेट्रोल पर वसूला जाता है। यह ठीक समय है जब नीति नियंताओं को इससे संतुलन तलाशने की जरूरत है। उन्हें विचार करना चाहिए कि क्या आम लोगों पर इतना बोझ डालना ठीक है!

धीरे-धीरे कई राज्यों में पूर्णबंदी से राहत मिल रही है, जिससे व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। इससे पेट्रोल और डीजल की खपत भी बढ़ेगी, लेकिन इनके बढ़े दामों का बोझ आम लोगों पर ही पड़ेगा।

रितिक सविता, दिल्ली विवि, दिल्ली