विश्व पर्यावरण दिवस पर ज्यादातर वायु प्रदूषण पर ही बात हुई, लेकिन जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी हमारे लिए जानलेवा है। दूषित जल एक वर्ष में न जाने कितने ही लोगों की जान का दुश्मन बन जाता है। इसी तरह ध्वनि प्रदूषण भी जानलेवा है, यह भी बहुत कम लोग जानते होंगे, तभी तो इसके प्रति लापरवाही बरतने वाले लोगों की कमी नहीं है।
ऐसे लापरवाह लोग अपनी गलत आदतों के कारण दूसरों के लिए भी परेशानी का सबब बनते हैं। यूरोपीय पर्यावरण एजंसी ने दावा किया है कि मात्र यूरोप में सोलह हजार से ऊपर लोगों की मौत का कारण ध्वनि प्रदूषण बनता है, और सत्तर हजार से ज्यादा लोगों को अस्पताल भेजने का काम करता है।
8 जून को विश्व ट्यूमर डे मनाया जाता है। ध्वनि प्रदूषण मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट में चेतावनी जारी की है कि साल 2050 तक दुनिया की लगभग एक चौथाई लोगों की सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन में एक घंटे से ज्यादा समय तक अस्सी डेसीबेल से ज्यादा तेज आवाज में संगीत या अन्य कुछ भी सुनता है, तो उसकी सुनने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इससे बहरेपन की संभावना काफी बढ़ जाती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव बढ़ाने और सुनने की क्षमता को भी कम कर सकता है। और यह हृदय रोग, रक्तचाप जैसी जानलेवा बीमारियों को भी न्योता देता है। इसलिए ध्वनि प्रदूषण को रोकना भी जरूरी है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर