पिछले वर्ष लगभग पूरे साल ही लोगों को अस्त-व्यस्त रहना पड़ा था। विद्यार्थी अपने कॉलेज-स्कूल से वंचित रहे। देश में पहले से ही रोजगार के लाले पड़े थे। इस महामारी में स्थिति ओर भी बद से बदतर हो गया। यहां तक कि निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकतर कर्मचारियों को घर बैठना पड़ा। हालांकि पिछले साल नवंबर के पहले हफ्ते से महामारी का ग्राफ पहली बार कम होता दिख रहा था। ठीक होने वालों की तादाद नए संक्रमण के मामलों से अधिक थी। इसलिए राज्य सरकारों ने पाबंदियां हटाना शुरू कर दिया था। सभी को लगने लगा कि अब महामारी का अंत करीब है। यही सोच कर लोग लापरवाही बरतने लगे।

इसी का नतीजा है कि इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचाया हुआ है। सभी स्कूल-कॉलेज फिर से बंद कर दिए गए हैं। पूरे देश में पूर्णबंदी लगने की नौबत आ गई है। इसका करण भी हम खुद ही हैं। साथ ही हमारे नेताओं ने तो कमाल ही कर दिया। चुनाव के समय जो लापरवाही की, जिसका खमियाजा अब पूरे देशवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए अभी भी संभलने की जरूरत है। लापरवाही ने ही हमें मौत के मुंह में धकेला है और हम हैं कि मौत से रंगदारी करने पर उतरे हैं। जीवन रहा तो अपनी सुंदरता दुनिया को दिखाएंगे। लेकिन अभी मास्क और कोविड-19 से बचाव के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है।
’नितेश झा ‘निक्की’, मधुबनी, बिहार</p>

लहर की मार
जब तीन विदेशी और एक देश खिलाड़ी समेत एक अंपायर ने आइपीएल छोड़ने की घोषणा की थी, उस समय बीसीसीआइ के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने दंभ भरे लहजे में कहा था कि आइपीएल हर कीमत पर जारी रहेगा। दरअसल, बीसीसीआइ ने भारी भूल की इसका आगाज करके, क्योंकि उस समय कोरोना का दूसरा लहर से देश परेशान होना शुरू हो गया था। फिर भी अधिकारियों की जिद के कारण आज नौबत यह आई कि इसे अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित करना पड़ा। सवाल है कि क्या आॅस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाड़ी के अपने घर वापस जाने के बारे में सोचा गया! संबंधित देशों ने भारत से कब तक के लिए यात्रा पर रोक लगाई है? इसलिए कोई भी काम जिद से नहीं, सोच-समझ के करना चाहिए। आने वाला ट्वेंटी-20 विश्वकप को भी यहां आयोजित न करने के बारे में फैसला लेते हुए सावधानी बरतना चाहिए।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>