महिलाओं को जब भी मौका मिला है, वे हमारे देश को गौरवान्वित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। राइफल शूटर अवनि लेखरा ने तोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रच दिया। उन्नीस वर्षीय अवनि पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, जिन्होंने एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। एसएच1 राइफल वर्ग में अवनि ने आर-2 महिलाओं की दस मीटर एयर राइफल स्पर्धा में शीर्ष स्थान हासिल किया। सराहनीय बात यह है कि अवनि ने अपनी शारीरिक बाधा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, बल्कि यह साबित किया कि यह कोई बाधा नहीं है। एक उदाहरण बन कर उन्होंने न केवल दिव्यांग महिलाओं को स्वतंत्र रूप से खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया है, बल्कि उन्हें उनकी क्षमताओं के साथ मैदान में आने के लिए प्रेरित किया है। दिव्यांग महिलाओं को समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए जो समाज आमतौर पर उन्हें नहीं देता है। यह समाप्त हो जाना चाहिए और यह तभी संभव है जब समाज उन्हें समानता प्रदान करे और उनके प्रति अपनी मानसिकता को बदले। अवनि की यह उपलब्धि राष्ट्र के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है।
’निखिल रस्तोगी, अंबाला कैंट, हरियाणा
बर्बर चेहरा
हाल ही में मध्य प्रदेश के नीमच जिले में एक आदिवासी युवक को दबंगों द्वारा सिर्फ इसीलिए पीटा गया कि उससे टकराने से किसी का दूध गिर गया था। युवक को पीटने के बाद भी उनका मन नहीं भरा तो दबंगों ने उसे ट्रक में बांध कर घसीटा, जिससे आखिरकार उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस तरह की घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली है। इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लोग अपनी दबी कुंठित सामंती मानसिकता के द्वारा अपने से कमजोर पर बल प्रयोग करते हैं और समाज में भय के माध्यम से अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं। ऐसे लोग समाज में जहरीले सांप की तरह होते हैं, जिससे समाज को हमेशा भय रहता है। इसलिए समाज द्वारा इनका जितने जल्दी बहिष्कार हो, उतना समाज के लिए बेहतर होता है।
’रूपेश मर्सकोले, बालाघाट, मप्र