पिछले दिनों रेलवे भर्ती परीक्षा के नतीजों में धांधली को लेकर परीक्षार्थियों का जो आक्रोश बिहार और झारखंड में देखने को मिला वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस आंदोलन में परीक्षार्थियों ने ट्रेन की कई बोगियों को आग के हवाले कर दिया। ऐसे कई समाचार पढ़ने को मिल जाते हैं, जिनमें आंदोलन करने वाले राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। आखिर बस, ट्रेन, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड आदि किसके पैसे से बनाए जाते हैं? राष्ट्रीय संपत्ति के निर्माण और विकास में लगा पैसा करदाता का होता है।

क्या लोकतंत्र का यही अर्थ होता है कि अगर आपकी बात न मानी जाए तो आप राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दें? आंदोलकारियों की मांगें जायज हो सकती हैं, पर उन्हें मनवाने का हिंसक मार्ग कभी स्वीकार्य नहीं हो सकता। इसके लिए हमारा संविधान शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन की अनुमति प्रदान करता है। राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, राष्ट्र को नुकसान पहुंचाना है। क्योंकि इस नुकसान का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है, जिसका असर देश के वार्षिक बजट में देखने को मिलता है। इन आंदोलनकारियों को समझना पड़ेगा कि राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान, किसी राजनीतिक दल या सरकार का नुकसान नहीं, बल्कि आम करदाता का है।

आज इस वैश्विक महामारी और महंगाई ने जिस तरह आम आदमी की कमर तोड़ रखी है उसको देखते हुए हमारे देश की सर्वोच्च न्यायपालिका और देश के नीति निर्धारकों को इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि राष्ट्र की संपति, ऐसे आंदोलनों की भेंट न चढ़ने पाए। जो भी लोग राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं, उनके खिलाफ देश के संविधान और कानून के अनुसार सख्त करवाई की जाए। राजनीतिक दलों को भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि वे अपने आप को ऐसे आंदोलनों से दूर रखने का प्रयत्न करें और ऐसे आंदोलनों को अपनी मूक स्वीकृति भी न दें, जो बाद में हिंसक होकर राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • राजेंद्र कुमार शर्मा, रेवाड़ी, हरियाणा

हैवानियत की हद

देश की राजधानी दिल्ली में इंसानियत इस तरह शर्मशार हुई कि सुनने वालों की रूह कांप उठी। जहां विधिव्यवस्था, अनुशासन, आचरण सिखाया जाता है, वहां महिला के साथ घंटों हैवानियत होती रही, यह वहां की सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए डूब मरने वाली बात होनी चाहिए! गांवों में खाप पंचायतों की बातें सुनते हैं, पर दिल्ली में हुई इस घटना ने तो सारे रिकार्ड तोड़ दिए। जब राजधानी में महिला महफूज नहीं है, तो पूरे देश की हालत क्या होगी?

महिला को पहले अगवा किया गया। एक घर के कमरे में कैद कर दिया गया। फिर उसे दो नाबालिग समेत तीन लड़कों के हवाले कर दिया गया, जिन्होंने उसके बदन को नोंचा। बलात्कार किया। उसके बाद महिलाओं ने उसके बाल काटे, चेहरे पर कालिख पोती। पिटाई की। चप्पलों की माला पहना कर पूरे इलाके में घुमाया गया। वह इलाका उसका मायका भी है, लेकिन मदद को कोई आगे नहीं आया। जुलूस निकालने वाली तालिबानी भीड़ में शामिल ज्यादातर चेहरे उसके जाने-पहचाने थे। आरोपी पिछले दो महीने से इस दरिंदगी के लिए मौके की तलाश में थे।

  • प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना</li>