‘ईंट से ईंट बजाना’ असल में हमारे राजाओं-महाराजाओं वाले इतिहास से जुड़ा विशिष्ट और दिलचस्प मुहावरा हुआ करता था। दिलचस्प इस अर्थ में कि नौंवी-दसवीं में इतिहास की किताब पढ़ते हुए, कुछ और याद रहता हो या न रहता हो, एक राजा के द्वारा दूसरे राजा के राज्य की ईंट से ईंट बजाने की बात तुरंत याद हो जाती थी। हिंदी के परचे में अर्थ लिख कर वाक्यों में प्रयोग करने में भी इस मुहावरे के साथ बड़ी आसानी रहती थी। दिमाग पर बिल्कुल जोर नहीं डालना पड़ता था। वह लगभग रटा-रटाया होता था। बस उधर से उठा कर इधर चिपकाना होता था। वक्त के साथ भूले-बिसरे गीतों की तरह ऐसे मुहावरे भी हम जैसे लोगों की स्मृतियों का हिस्सा होकर रह गए। तो क्या धन्यवाद दिया जाना चाहिए जोशीले कद्दावर कांग्रेसी नवजोत सिद्धू का, जिनकी बदौलत विद्यार्थी जीवन के इस अनमोल मुहावरे से अचानक भेंट हुई है?

हम यहां मुहावरे को उसके सांकेतिक अर्थ, यानी सबक सिखाने के रूप में लेते हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि कोई नेता किसकी ईंट से ईंट बजा देने की बात कहते रहते हैं और किसे ललकार रहते हैं। कौन है उनका दुश्मन, कहां खड़ा है वह, किस पायदान पर? एकबारगी ऐसा भी लगा कि शायद ऐसे नेता महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रही जनता या कहीं पर पंजाब पुलिस की लाठियां खा रहे बेरोजगार युवाओं या फिर करनाल में हरियाणा पुलिस की लाठियों से लहूलुहान हुए किसानों के बीच खड़े होकर दहाड़ रहे हैं, क्योंकि वे जिस फैसले लेने की स्वतंत्रता की बात करते हैं, ऐसे मुद्दों के लिए उनके इस जज्बे की सख्त जरूरत भी है। जहां तक पंजाब में कांग्रेस में कलह का सवाल है तो घरेलू मनमुटावों को नेतागीरी चमकाने के अवसर की तरह न हथिया कर अगर सिद्धू कक्ष के भीतर मेज के इर्द-गिर्द बैठ कर निपटाते या अपने कपिल कॉमेडी शो वाले रूप में थोड़े ठहाके भी लगा लेते तो बेहतर होता।
’शोभना विज, पटियाला, पंजाब

मनुष्य के साथी

अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना में एक कुत्ते को भौंकने से रोकने के लिए उसके मुंह पर बिजली के काम में उपयोग किया जाने वाला टेप लपेटने वाले व्यक्ति को पांच वर्ष की जेल की सजा सुना दी गई। यह खबर कुछ महीने पहले सुर्खियों में आई थी, मगर कई लिहाज से जरूरी संदेश देने वाली है। जानवरों पर अत्याचार करने वालों पर अंकुश लगना चाहिए। जहां तक कुत्तों की बात है तो वे मानव सभ्यता के सबसे शुरुआती साथी रहे हैं। वे खतरा सूंघने में माहिर होते हैं। इसलिए इन्हें सुरक्षा बलों का भी हिस्सा बनाया गया। बल्कि सूंघने की क्षमता के कारण ही श्वान दस्ते आपदा प्रबंधन में भरोसे के लायक सिद्ध हुए हैं।

आतंकवादियों द्वारा रखे जाने वाले विस्फोटक पदार्थों को सूंघ कर जानमाल की हानि को ये कम करने में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं। जापान में पालतू कुत्तों की भावनाओं को समझने की दिशा में मशीन भी ईजाद किया गया है। कुत्तों के संदर्भ में हमारे यहां के ग्रंथों में भी महत्त्वपूर्ण तरीके से उल्लेख पाया जाता है। ‘महाभारत’ कथा में पांडवों के हिमालय जाते समय युधिष्ठिर के संग कुत्ता भी साथ था। भारत में बहुत सारे लोग कुत्तों के लिए अलग से रोटी रखते हैं। खेतों, घरों में सुरक्षा के लिए भी इन्हें पाला जाता है। इनकी उपयोगिता स्वयंसिद्ध रही है, लेकिन इसके साथ-साथ इनसे सुरक्षा और बचाव का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। यह छिपा नहीं है कि किसी कुत्ते के काट लेने से रेबीज रोग और यहां तक की मौत तक हो जा सकती है। इसलिए सभी अस्पतालों में रेबीज के टीकों का उपलब्ध होना जरूरी है।
’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, धार, मप्र