अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक प्रेस कान्फेंस में भारत में पुलिस तथा जेल अधिकारियों द्वारा कैदियों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर मानव अधिकार का जो मुद्दा उठाया, वह आपत्तिजनक होने के कारण हमें स्वीकार्य नहीं है। इसके उत्तर में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब दिया। कहना न होगा कि अपने आप को स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र का पुरोधा कहने वाले अमेरिका में सिखों तथा आश्वेतों के साथ जितना पक्षपात पूर्ण तथा क्रूरता वाला व्यवहार होता है, उसको लेकर अमेरिका को मानवाधिकार की दुहाई नहीं देनी चाहिए।
असल में यूके्रन तथा रूस में जो युद्ध चल रहा है, उसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी तथा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन में जो बातचीत हुई है, उसके बाद भी अमेरिका भारत से रूस के खिलाफ समर्थन प्राप्त करने में असफल रहा है। मानवाधिकारों का नाम लेकर यह भारत पर रूस के खिलाफ समर्थन प्राप्त करने की अमेरिका की एक चाल है, दबाव डालने का तरीका है।
भारत जो भी कार्रवाई करता है वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रख कर करता है। क्या अन्य देश, जो कि इस युद्ध में अमेरिकी रुख का समर्थन नहीं करते, क्या अमेरिका उनको भी कोई न कोई धमकी देता रहता है। भारत सरकार को अपने नागरिकों के हितों का हमेशा ध्यान रहता है। अमेरिकी पुलिस अधिकारी अपराधियों से जितना कू्ररता पूर्वक तथा दमनकारी तरीके इस्तेमाल करते हैं, उसकी मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलती।
अश्वेतों के साथ जितना भेदभाव होता है, जिस तरह श्वेत अमेरिकी हब्शियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उनके साथ नफरत करते हैं, क्या वह मानवाधिकार हनन की श्रेणी में नहीं आता? भारत में संविधान के मुताबिक सभी को सम्मान पूर्वक रहने, विचारों की अभिव्यक्ति करने तथा अन्याय होने की स्थिति में न्यायालय जाने का पूर्ण अधिकार है। यही कारण है कि हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि जब कभी भारत और अमेरिका में मानवाधिकारों पर चर्चा होगी, तो अमेरिका में होने वाले सिखों तथा अश्वेतों के ऊपर होने वाले जुल्म के बारे में हम अमेरिका को बताएंगे।
शाम लाल कौशल, रोहतक
सौहार्द की जरूरत
राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात एवं बंगाल के बाद आज हनुमान जयंती के अवसर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जन्म उत्सव के जुलूस पर पथराव किया गया, यह सामाजिक सौहार्द को भड़काने की कोशिश है , इससे हिंदू – मुस्लिम भाईचारे के खिलाफ एक गलत संदेश जा रहा है, प्रशासन द्वारा ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो की अतिरिक्त तैयारी ना करना भी पथराव होने की एक वजह है।
इस तरह से पथराव की घटनाएं अगर समूचे देश में निरंतर ऐसे ही होती रही तो यह है आने वाले समय के लिए एक अच्छा संदेश नहीं है, इससे आपस में रोष उत्पन्न होगा और लोग एक दूसरे से नफरत करने लेंगेगे जो भारत के सामाजिक ताने-बाने के लिए अच्छा नहीं रहेगा।
दिलीप गोयल, मेरठ</p>