भारत में कोरोना के नए रूप ओमीक्रान ने दस्तक दे दी है। हालांकि इस विषाणु से पीड़ितों की संख्या अभी बहुत कम है, पर सरकार के साथ-साथ आम नागरिक जितना जल्दी चेत जाएं, अच्छा रहेगा। वैज्ञानिकों ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावना पहले ही व्यक्त कर दी थी। अब जिस प्रकार ओमीक्रान के मामले एक एक कर सामने आ रहे हैं, इसके विकराल रूप लेने में देर नहींं लगेगी। सरकार ने सामाजिक दूरी और मास्क की अनिवार्यता अभी समाप्त नहींं की है, फिर भी लोग बिना मास्क के देखे जा रहे हैं। हमारी यह लापरवाही कोरोना की तीसरी लहर का कारण न बन जाए। इसके लिए कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना समय की आवश्यकता है।
हमारी लापरवाही से स्थिति अगर नियंत्रण से बाहर हो गई, तो कहीं ऐसा न हो कि सरकार को आखिर में बंदी लागू न करनी पड़े। बंदी के दुष्परिणामों से हम परिचित हैं। हम सब जानते भी हैं कि पिछली दो बड़ी बंदियों ने निम्नवर्गीय समाज के साथ-साथ मध्यवर्गीय परिवारों की भी कमर तोड़ दी है। समाज का एक बड़ा तबका बेरोजगार बैठा है। इसलिए हम भी अपनी जिम्मेदारी समझें और सावधानी बरतें।
’अमित शर्मा, मेरठ</p>
साजिश का संदेह
नगालैंड में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। चाहे सुरक्षाबल हों या किसी भी राज्य की पुलिस, अपराधियों को पकड़ने में उनका काम मुख्य रूप से प्राप्त विश्वसनीय खुफिया जानकारी पर निर्भर करता है। उसके अनुसार वे आगे की योजना बनाते हैं। उग्रवादियों के बारे में सुरक्षाबलों को मिली खुफिया जानकारी संदेह के घेरे में आ गई है। क्योंकि सुरक्षा बलों ने इस सूचना पर विश्वास करते हुए अभियान शुरू किया। उसकी पुष्टि के लिए अवसर नहींं मिला।
जवानों की फायरिंग में मजदूर मारे गए हैं, तो वे उग्रवादी कहां हैं? क्या किसी के पास उन्हें सुरक्षित पहंचाने की कोई पूर्व नियोजित योजना होगी? इसे देखना होगा। स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश को नकारा नहींं जा सकता। इसके पीछे कौन-सी ताकतें (उग्रवादी) काम कर रही हैं? इस पर भी गहन शोध करने की जरूरत है। इसमें कोई शक नहींं कि घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। इससे सामाजिक शांति भंग न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
अगर ऐसा ही चलता रहा, तो उग्रवादी स्थानीय लोगों के असंतोष का फायदा उठाएंगे और सीमावर्ती इलाकों को अस्थिर करने के लिए राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देंगे। यह देश के लिए चिंता का विषय होगा। उग्रवादी वर्तमान घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखेंगे। नगालैंड की घटना की जड़ें उन तक जाती है क्या? इस पर ध्यान रखना चाहिए। स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध कैसे बनाए रखें और उग्रवाद का खात्मा कैसे करें, यह महत्त्वपूर्ण है। एक अन्य सूत्र है कि त्रिपुरा की कथित घटना को लेकर महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में तनाव बना था। अब गोलीबारी की घटना को लेकर पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड चर्चा में आ गया है। क्या यह पूर्वोत्तर भारत को परेशान कर सरकार को चुनौती देने की साजिश है?
’जयेश राणे, मुंबई</p>