लखीमपुर खीरी की घटना हमारे नेताओं के चरित्र को दिखाती है। देश के किसान अपनी मांगें मनवाने के लिए लगभग ग्यारह महीने से सर्दी-गर्मी, बारिश सब सहते हुए अपने परिवार और किसानी से दूर बैठे हैं। उनकी मांगें जायज हैं या गलत, यह तो समय बताएगा, पर अगर देश का किसान और मजदूर नहीं चाहता कि ऐसा कानून बने, तो सरकार क्यों जिद पर अड़ी है? हाल में शांतिपूर्ण पैदल मार्च पर जिस प्रकार से गाड़ी चढ़ा दी गई और चार किसानों की मृत्यु हुई, वह अत्यंत निंदनीय घटना है। एक जिम्मेदार पद पर बैठे आदमी से न तो सभा में ऐसे भाषण की उम्मीद की जाती है, न ही ऐसे कृत्य की। अब देश में कानून के शासन को काम करने देने के लिए जिम्मेदार मंत्री को तुरंत इस्तीफा देकर जांच में सहयोग करना चाहिए। समय की मांग को देखते हुए किसान नेताओं ने बहुत सहयोग किया है। अब सरकार को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।
         ’मुनीश कुमार, भिवानी, हरियाणा

इंसाफ की उम्मीद

लखीमपुर खीरी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेकर यह साबित कर दिया है कि वह न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है। जिस तरह लखीमपुर खीरी मामले में गृह राज्यमंत्री के पुत्र का नाम उजागर हो रहा है, उससे तो यही लग रहा था कि आरोपी बच जाएंगे, क्योंकि पहले भी कई मामलों में अमूमन यही देखा गया है कि जिन मामलों में रसूखदार लोगों का नाम आता है, वहां पुलिस की कार्रवाई निष्पक्ष नहीं रह पाती और आरोपी बच जाते हैं। मगर जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस और सरकार को फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की है कि क्या अन्य आरोपियों के साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाता, जैसे इस मामले से जुड़े आरोपी के साथ किया जा रहा है? इससे भरोसा बना है कि कानून सभी के लिए समान है और न्यायालय की गरिमा अब भी बनी हुई है।
’अनामिका मिश्रा, नोएडा</p>

कालाबजारी की जड़ें

भारत में कालाबजारी की समस्या आजादी के बाद से ही बनी हुई है। इसे रोकने के लिए कई कानून हैं, लेकिन माफिया कालाबाजारी का रास्ता ढूंढ़ ही लेते हैं। इसे आसानी से राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण भी हासिल हो जाता है। इस कोरोना महामारी के बीच भी खाद की कालाबाजारी की जा रही है। हमारे देश में किसानों की स्थिति पहले से ही दयनीय है, ऊपर से यह खाद की कालाबाजारी उनकी स्थिति को और बदतर बना रही है। कोरोना महामारी के दौरान कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसानों को अभी अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है। सरकार ने यूरिया को नीम लेपित कराया, ताकि दूसरे कार्यों में इसका इस्तेमाल न हो सके। सब कुछ डिजिटल हो गया, लेकिन इसके बावजूद भी कालाबाजारी को नहीं रोक सकी। सरकार को इससे सख्ती से निपटना होगा।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया