भारत के एक अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का पद संभाल लेने पर कुछ देर के लिए यह लगा था कि अब आतंकियों की खैर नहीं। मगर 27 अगस्त को अफगानिस्तान पर, जारी अपने बयान में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान का नाम तक नहीं लिया। उन्हें एक गुट कह कर संबोधित किया गया। दुनिया तो दुनिया, भारत सरकार का एक भी मंत्री या अधिकारी ने इस मसले पर तालिबान का नाम तक लेने के मामले में सावधानी बरती है। देश का दावा और नारा था- ‘आतंकवाद पर शून्य सहनशक्ति’, वह भी तालिबान के नाम तक लेने में डर रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया तालिबान को मान्यता देने का मन बना चुकी है और यह धीरे-धीरे हो भी रहा है। यह बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति को मजबूत करने वाला है। कल को कोई भी गुट, किसी भी चुनी हुई सरकार को पलट देगा। फिर दुनिया उसे अपने बिरादरी में स्वीकार कर लेगी।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड

आबादी की सीमा

चीन ने 1979 में जो जनसंख्या नीति लागू की थी, उससे चीन में युवा आबादी की कमी होने लगी थी। अब चीन ने पहले दो और फिर तीन बच्चों की नीति लागू कर दी है। भारत की जनसंख्या जिस तरह बढ़ रही है, उस हिसाब से यहां संसाधन और रोजगार उपलब्ध नहीं है, जिससे भारत में दिनोंदिन बेरोजगारी, भुखमरी और इनके अभाव में अपराध भी बढ़ रहे हैं। इसलिए भारत की बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, अपराध इन सभी को देखते हुए एक व्यावहारिक नीति की जरूरत है। भारत सरकार दो बच्चों की नीति लागू कर सकती है, जिससे हमारी जनसंख्या में युवा पीढ़ी की कमी नहीं होने पाए और बढ़ती जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सके।
’रिंकू जायसवाल, सिंगरौली, मप्र