मेडिकल रिपोर्ट तैयार नहीं हो पा रहीं और नए मरीजों का पंजीकरण करने में व्यापक मुश्किल खड़ी हो गई है। वहीं देश की प्रमुख सूचना प्रोद्योगिकी एजेंसियां भी अभी तक डेटा फिर से हासिल नहीं कर पाई हैं। इस मामले को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि आज अगर एम्स को निशाना बनाया गया है तो कल किसी दूसरे प्रतिष्ठान को भी निशाना बनाया जा सकता है।

केंद्र सरकार को साइबर अपराधों ओर साइबर अपराधियों को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने ही होंगे, अन्यथा देश को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा, डिजिटल माध्यम पर पूरी तरह निर्भर होना भी इस तरह के खतरे खड़े कर रहा है। इस व्यवस्था के साथ-साथ वैकल्पिक और सामान्य तौर-तरीके वाली व्यवस्था भी बनाए रखनी चाहिए, ताकि आपात स्थिति में उसके सहारे कामकाज को सामान्य तरीके से निपटाया जा सके।

साइबर अपराधों को रोकने के लिए साइबर कमांड मुख्यालय की स्थापना की जानी चाहिए और साइबर पुलिस के साथ-साथ साइबर अदालतें भी स्थापित की जानी चाहिए, क्योंकि जिस प्रकार से देश डिजिटल व्यवस्था के ओर तेजी से बढ़ रहा है, डिजिटल अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय हैकर्स जिस प्रकार से देशों का डेटा हैक कर रहे है, सरकारों को अत्यधिक सतर्क रहना होगा।
आरके शर्मा, रोहिणी, दिल्ली</p>

मानवता के बरक्स

रूस-यूक्रेन युद्ध अब खतरनाक मोड़ पर आ पहुंचा है। रूस किसी भी कीमत पर यूक्रेन को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करना चाहता है, लेकिन यूक्रेन उसके आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं है, बल्कि रूसी सेना को जवाब दे रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अहं चोट खा रहा है और अपने अहं की तुष्टिकरण के लिए वे बार-बार परमाणु हमलों की धमकी दे रहे हैं।

रूस ने यूक्रेन के ऊर्जा संयत्रों को निशाना बनाया है। यूक्रेन में चारों ओर तबाही का मंजर फैला हुआ है और एक बड़ी आबादी अंधेरे में रहने के लिए मजबूर है। इस पूरे प्रकरण में धृतराष्ट्र के समान संयुक्त राष्ट्र आंखें बंद कर मानवता की हार का तमाशा देख रहा है।
हिमांशु शेखर, केसपा, गया।