हम सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी एक बार फिर से लोगों के दिलोदिमाग में दस्तक दे चुकी है। ऐसे में सरकार ने फिर से सभी स्कूल, कालेज और शिक्षा संस्थान बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। फिर से आनलाइन पढ़ाई शुरू हो चुकी है, जिसका पूरा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। लगभग 30-35 फीसद बच्चों को आंखें कमजोर हो गई हैं, उन्हें चश्मा लग चुका है। जब बच्चे पूरा-पूरा दिन फोन या लैपटाप से पढ़ाई करेंगे तो जाहिर-सी बात है कि आंखे तो खराब होंगी ही।
सवाल है कि क्या सिर्फ स्कूल-कालेज खुले रहने से बीमारी को बढ़ावा मिलता है? जब रैलियों के लिए लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठी की जाती है, तब यह शांत हो जाता है? कुछ दिनों के लिए स्कूल-कालेज खोले जाते हैं, जब तक बच्चों के समझ में सिलेबस आने लगता है, तब तक दोबारा से पूर्णबंदी लागू हो जाता है। ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाएंगे? आनलाइन कक्षाओं में वे कुछ नहीं सीख पा रहे। आनलाइन कक्षा लेने की वजह से बच्चों की आंखों में पानी आने लगता है। जिन बच्चों को पहले चश्मे नहीं लगे हुए थे, उन्हें भी अब चश्मे लगवाने पड़ रहे हैं।
- अंजली नरवत, फरीदाबाद, हरियाणा
खेल में मतभेद
क्रिकेट का खेल अधिकतर लोगों के मन को भाता है और उसमें भी अधिक भारतीय टीम के खिलाड़ियों के प्रशंसकों की लंबी कतार विश्व भर को आकर्षित करती है। लेकिन हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम और प्रशंसकों को काफी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। कारण है भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से कप्तानी छोड़ने का निर्णय जो प्रशंसकों को कुछ पसंद नहीं आ रहा! दरअसल, इससे पहले उन्होंने टी-20 स्वरूप से भी कप्तानी छोड़ने का निर्णय लिया था।
हालांकि यह इतनी गंभीर समस्या भी नहीं कि एक खिलाड़ी के कप्तानी छोड़ने से क्रिकेट जगत को कोई नुकसान होगा, पर यह सोचना भी जरूरी है कि विराट कोहली अभी तक फिटनेस के मामले में अन्य खिलाड़ियों से बेहतर हैं। उनकी कप्तानी पारी भी काफी अच्छी रही है। फिर क्या कारण हो सकता है जो इतने काबिल खिलाड़ी को अचानक कप्तानी छोड़नी पड़ रही है।
इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों में आपसी तालमेल और मतभेद का अधिक बढ़ना, जिससे क्रिकेट का माहौल खराब हो सकता है। भारतीय क्रिकेट योद्धाओं की आपसी रंजिश सोशल मीडिया पर छाई रहती है। अब प्रश्न यह भी बनता है कि विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद क्या खिलाड़ियों के आपसी झगड़ों पर विराम लगने की संभावना बनेगी? क्या देश को क्रिकेट के सभी स्वरूप के लिए एक बेहतर कप्तान मिल सकेगा? इस पर क्रिकेट बोर्ड को गहन चिंतन करना चाहिए, ताकि खिलाड़ियों के मनभेद का असर खेल ओर देश की छवि पर न पड़े!
- शुभम, दुबे, इंदौर, मप्र