भारतीय जनता पार्टी जनगणना जातीय आधार पर नहीं कराना चाहती। विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव बिहार में जातीय आधार पर जनगणना कराने के पक्ष में हैं। तेजस्वी ने इसके पहले भी जनगणना जातीय आधार पर कराने की बात मीडिया के समक्ष कही थी। भाजपा ने उसे सिरे से खारिज कर दिया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में पीएम से भेंट कर जातीय जनगणना कराने का आग्रह किया था। मगर तेजस्वी ने केंद्र का बहिष्कार करते हुए हर हाल में जातीय जनगणना का आधार बताया। तेजस्वी प्रतिपक्ष के नेता हैं। उनके तेवर नरम हैं। इसका कारण है। विधानसभा में सौ से अधिक विधायक तेजस्वी के पास हैं। इस लिहाज से तेजस्वी अपनी मर्जी से कार्य कराने का दबाव सत्तारूढ़ सरकार पर डाल रहे हैं।
जनगणना का काम केंद्र के अधीन है। नीतीश भाजपा गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। इसलिए वे केंद्र को नाराज नहीं कर सकते हैं। तेजस्वी के दबाव की वजह से नीतीश मोदी की बात को शायद नजरअंदाज कर रहे हैं। जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी और नीतीश की करीब चालीस मिनट बातचीत हुई है। नीतीश के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई है। मोदी के साथ पंगा लेना नीतीश को भारी पड़ सकता है। खैर, नीतीश ने मतदाताओं को कहा था कि यह मेरा अंतिम चुनाव है।
यह आग्रह मतदाताओं ने स्वीकार करते हुए नीतीश को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी दी है। मुख्यमंत्री जाति आधारित मतगणना के पक्ष में हैं। लेकिन किसी एक व्यक्ति को नाराज करना ही पड़ेगा। भाजपा के गठबंधन से नीतीश मुख्यमंत्री बने हैं। उधर प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी हैं, जो विपक्ष के नेता हैं। नीतीश मोदी की बात मानते हैं तो उनके लिए गौरवपूर्ण बात होगी और मोदी के खिलाफ जाकर विपक्ष से हाथ मिलाते हैं, तो शर्मनाक।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
घाटी में दहशतगर्द
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकास तेजी से हो रहा है। केंद्र सरकार हर संभव मदद कर रही है। आमजन मुख्यधारा से जुड़ रहा है, लेकिन सुरक्षाबलों की इतनी सख्ती के बाद भी आतंकवादी फन उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। आतंकी वर्ग विशेष को चिह्नित कर बेरहमी से निर्दोषों की हत्या कर रहे हैं।
घाटी में एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब सुरक्षाबलों से मुठभेड़ नहीं होती। दुख की बात है कि आतंकवादी तो मुठभेड़ में ढेर हो रहे हैं, लेकिन हमारे सुरक्षा बल के जवान भी शहीद हो रहे हैं। इन आतंकवादियों को पैदा प्रश्रय देने वालों पर सख्त प्रहार कर कमर तोड़ना बहुत जरूरी है।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन