अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने बिना किसी प्रतिरोध के कुछ महीने में ही लगभग पूरे देश पर कब्जा कर लिया। इतिहास में यह एकमात्र उदाहरण हो सकता है कि साढ़े तीन लाख की सेना ने इस तरह आत्मसमर्पण किया कि मानो वे बच्चे की तरह खेल रहे हैं। अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में बीस साल तक रही। क्या उन्होंने अफगान सेना को प्रशिक्षित नहीं किया? सेना केवल ‘करो और मरो’ जानती है। लेकिन अमेरिका की सेना बिना समस्या के सुलझे हटा ली गई। फिर किस भरोसे पर अमेरिका की सेना को उतनी दूर वहां इतने दिनों तक टिकाए रखा गया। इतिहास बताता है कि सेना तब तक लड़ती है, जब तक अंतिम क्षण। अगर उनके हथियार और गोला-बारूद खत्म हो जाते हैं तो वे शारीरिक रूप से लड़ते हैं। ज्यादा जरूरी यह था कि अफगान समस्या का हल करने के बाद ही वहां सत्तारोहरण होता। अब भविष्य क्या होगा, कहा नहीं जा सकता।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र
वन से जीवन
वनों की कटाई मनुष्य द्वारा जंगलों का परिष्करण है। लगातार बढ़ती मानव आबादी कृषि, औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक, शहरों और अन्य उद्देश्यों के लिए पृथ्वी पर भूमि की आवश्यकता को बढ़ा रही है, जिसमें स्थायी रूप से वन हटाना शामिल है। एक समय था, जब हमारी पृथ्वी हर जगह जंगलों से आच्छादित थी, लेकिन अब के दौर में कुछ गिने-चुने जंगल ही मौजूद हैं। वनों की कटाई आज समाज और पर्यावरण के लिए प्रमुख वैश्विक समस्या के रूप में खड़ी हो रही है। यह ग्रह के लिए एक गंभीर दंड की तरह है और इस ग्रह पर जीवन के अंत का संकेत देता है। जंगलों की नियमित कटाई से जलवायु, पर्यावरण, जैव विविधता, पूरे वातावरण के साथ-साथ मानव के सांस्कृतिक और भौतिक अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है।
कुछ लालची लोग जंगल बेच कर अधिक पैसा कमाने के लिए जंगलों को काट रहे हैं और वन्यजीवों और मानव के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं। जंगली जानवर पलायन कर रहे हैं और मर रहे हैं। मूल वनस्पति और जीवों का नुकसान पर्यावरण को नकारात्मक रूप से बदल रहा है और मानव जीवन को परेशान कर रहा है। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि जानवरों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है, जिसके चलते कुछ अन्य क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं या मानव क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं या मर रहे हैं। हमें जानवरों के अभयारण्य को बचाने के लिए वनों को काटने से रोकने या पौधों को संरक्षित करने के लिए पेड़ों को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में यहां जीवन को बचाने के लिए पर्यावरण के प्राकृतिक चक्रों को बनाए रखा जा सके। कार्बन डाइआॅक्साइड गैस की मात्रा को कम करने के साथ-साथ ताजा और स्वस्थ आॅक्सीजन प्राप्त करने के लिए वनों का संरक्षण भी आवश्यक है।
’प्रीति अभिषेक, छपरा, बिहार</p>