कारम नदी पर धार मध्यप्रदेश में तीन सौ पांच करोड़ रुपए से बना बांध तीन माह में ध्वस्त हो गया। प्रशासन ने राहत की सांस ली कि कोई जनहानि नहीं हुई। मगर सवाल है कि इस विशाल धनराशि की भरपाई कहां से होगी? किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो गई, उसकी भरपाई कौन करेगा? खेती की उपजाऊ भूमि पथरीली हो गई, अब वहां खेती कैसे होगी? ग्रामीणों के घर सामान सहित ध्वस्त हो गए, इसकी भरपाई कौन करेगा?

सुरक्षा की दृष्टि से शासन ने चैनल बना कर तीन सौ पांच करोड़ का पानी बहा दिया। पानी बहने के बाद शासन ने राहत की सांस ली। कहने-सुनने में अजीब लगता है, किंतु ऐसा ही हुआ। संकट टालने के लिए पूरा प्रशासन, सेना और कई शासकीय विभाग के अधिकारी रात-दिन मेहनत करते रहे। इन पर भी खर्चा हुआ। यह सारी वसूली बांध निर्माण कंपनी, सिंचाई विभाग के अधिकारी और कार्य की निगरानी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों से करनी चाहिए और उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। यह बहुत बड़ा अपराध है।
अरविंद जैन ‘बीमा’, उज्जैन

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक

पाकिस्तान में अक्सर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरे आती रहती है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की जो दुर्दशा हो रही है, उसका कोई जवाब पाकिस्तान के पास नहीं है। अगर आज पाकिस्तान से पूछा जाए कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमान की दुर्दशा क्यों हो रही है तो ये बगलें झांकने लगते हैं। आज के समय में पाकिस्तानी कश्मीर में जिस तरह का जुलमो-सितम पाकिस्तानी सेना कर रही है, उसका विरोध सारे पाक अधिकृत कश्मीर में हो रहा है। यहां के नेता अमजद अब्दुल मिर्जा जब भी भारतीय टीवी चर्चा में आते हैं, तो वे हमेशा भारतीय झंडा अवश्य लगाते हैं। उनका तो यह भी कहना है कि अब पीओके में भी घर-घर तिरंगा लहराया जाएगा। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पाक कश्मीर को भारतीय कश्मीर में मिलाने की मांग की है।
मनमोहन राजावत राज, शाजापुर