Ratan Tata Death Anniversary: देश के जाने-माने दिवंगत बिजनेसमैन और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की आज पुण्यतिथि है। आज से ठीक एक वर्ष पहले 9 अक्टूबर 2024 को 86 साल की उम्र में संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उनका निधन हो गया था। पूरी दुनिया आज भी उन्हें एक सफल उद्योगपति के रूप में याद करती है।
जब आज टाटा को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जा रहा है, तो उनकी बड़ी डील, संपत्ति से अधिक चर्चा उनके सरल और सहज व्यवहार की हो रही है। यहां हम आपको उनके जीवन के 5 अनसुने किस्से बता रहे हैं…
अपमान का घूंट पिया, फिर खरीद डाली विदेशी कंपनी
टाटा मोटर ने जब 1998 में इंडिका गाड़ी लॉन्च की, उन्हें अपने लाइफ का एक बड़ा झटका लगा। उन्होंने इसे पैसेंजर गाड़ी में नंबर 1 बनाने के सपने देखे, लेकिन लोगों का फीडबैक इससे उलट रहा। गाड़ी की बिक्री काफी कम हो गई और कंपनी नुकसान में चली गई।
तब बोर्ड ने रतन टाटा को कहा कि उन्हें कंपनी बेच देनी चाहिए। उनका कंपनी बेचने का मन नहीं था लेकिन ज्यादा नुकसान झेलते तो उसकी आंच कर्मचारियों तक आ जाती। ऐसे में उन्होंने अपनी टाटा मोटर्स को ही बेचने का फैसला कर लिया। वे इस प्रस्ताव को लेकर अमेरिकी कंपनी फोर्ड के पास चले गए। तब फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड के साथ उनकी मीटिंग हुई।
रतन टाटा को उस मीटिंग में अपमान का घूंट पीना पड़ा। फोर्ड के मालिक ने उनसे दो टूक कह दिया- जिस कारोबार की आपको जानकारी तक नहीं, आपने इतना पैसा लगा कैसे दिया। फिर फोर्ड के साथ डील कैंसिल कर दी गई।
रतन टाटा ने जीतोड़ मेहनत की उन्होंने टाटा मोटर्स को फिर खड़ा किया। किस्मत ऐसी घूमी कि साल 2008 में टाटा ने ही जेएलआर कंपनी को खरीद लिया। जेएलआर वही कंपनी थी जो फोर्ड के अंदर आती थी।
कर्मचारियों के लिए गैंगस्टर से भिड़े
साल 1980 की बात है जब टाटा के कर्मचारियों को एक गैंगस्टर परेशान कर रहा था। उसका मकसद टाटा यूनियन पर अपना कब्जा करना था, इसके लिए उसने कई टाटा के कर्मचारियों को अपने पक्ष में करने की भी कोशिश की। गैंगस्टर हर कीमत पर टाटा ग्रुप को नुकसान पहुंचाना चाहता था।
ऐसे में जब गैंगस्टर से डर कर्मचारी काम पर आने से बचने लगे, टाटा ग्रुप के एक प्लांट पर खुद रतन पहुंच गए, कई दिनों तक वहां रहे। बॉस की तरह उन्होंने सामने से उस गैंगस्टर की चुनौती का सामना किया। नतीजा यह रहा कि कर्मचारी तो भय मुक्त हुए ही, उस गैंगस्टर की भी गिरफ्तारी हो गई।
बीमार कर्मचारी के लिए खुद प्लेन उड़ाने को हुए तैयार
यह बात काफी कम लोग ही जानते थे कि रतन टाटा एक ट्रेन्ड पायलट थे। टाटा के पास विमान उड़ाने का लाइसेंस भी था। इसी वजह से साल 2004 में जब उनके एक कर्मचारी की तबीयत खराब हुई और उसे तुंरत इलाज की जरूरत पड़ी तो वे
खुद प्लेन उड़ाने को तैयार हो गए।
साल 2004 में पुणे में टाटा मोटर्स के एमडी प्रकाश एम तेलंग की तबीयत बिगड़ गई थी, उन्हें तुरंत मुंबई रेफर कर दिया गया। अब बाय रोड पुणे से मुंबई जाते, देर हो सकती थी। इस वजह से एयर एंबुलेंस का इंतजाम करने की कोशिश हुई।
लेकिन उस दिन रविवार पड़ गया और एयर एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हो पाया। ऐसे में रतन टाटा ने सामने से बोल दिया- प्लेन मैं उड़ाऊंगा। सब हैरान थे, लेकिन टाटा एकदम तैयार। उन्होंने प्लेन उड़ाने की तैयारी शुरू की ही थी, उन्हें बताया गया एयर एंबुलेंस का इंतजाम हो गया है। ऐसे में टाटा ने प्लेन तो नहीं उड़ाया, लेकिन उस कर्मचारी की जान बचा ली।
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कर्मचारी बीमार हुआ तो मुंबई से पुणे मिलने पहुंचे
रतन टाटा का किस्सा काफी फैमस है जहां उन्होंने मुंबई से पुणे का सफर केवल इसलिए तय किया क्योंकि उनका एक कर्मचारी पिछले 2 साल से बीमार था। वो कर्मचारी न एमडी था, न बोर्ड का सदस्य और न ही मैनेजर की पोस्ट पर था। वह साधारण कर्मचारी था लेकिन जब रतन टाटा को उसकी हालत का पता चला उन्होंने बिना किसी को बताए मुंबई से पुणे जाने का फैसला किया।
वे बिना किसी को बताएं और बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के वे उस कर्मचारी के घर पहुंच गए। उन्होंने उससे मुलाकात की और हालचाल लिया। उन्होंने उनकी मदद का आश्वासन भी देकर आए। उनकी इस मुलाकात को मीडिया भी कवर नहीं कर पाई क्योंकि वो कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं था।
‘अंग्रेज’ देना चाहते थे अवॉर्ड, लेकिन रतन टाटा नहीं गए
यहां रतन टाटा का काफी फैमस किस्सा है। उन्होने कुछ ऐसा काम किया था। कि पूरी दुनिया उनकी फैन थी। वैसे तो रतन टाटा को कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया था, उन्हें एक अवॉर्ड ब्रिटिश राजघराना से भी मिलने वाला था। उन्हें खुद प्रिंस चार्ल्स अवॉर्ड देने वाले थे, उनके लिए बकिंघम पैलेस में समारोह रखा जाना था।
एक इंटरव्यू में बिजनेसमैन सुहैल सेठ ने इस किस्से को याद किया था। उन्होंने बताया कि जैसे ही मैं लंदन में लैंड किया, मैंने देखा टाटा की 11 मिस कॉल थी। मैंने उन्हें तुरंत फोन लगाया, सामने से बोला गया कि मैं अवॉर्ड लेने के लिए नहीं आ रहा हूं। उन्हें बताया गया कि टाटा के पैट डॉग्स की तबीयत ठीक नहीं थी और वे उन्हें उस हालत में छोड़ नहीं आ सकते थे। जब यह बात प्रिंस चार्ल्स को पता चली तो उन्होंने रतन टाटा की काफी तारीफ की।