कैंसर संबंधी स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली प्रौद्योगिकी फर्म कारकिनोस हेल्थकेयर में रिलायंस समूह की इकाई रिलायंस डिजिटल हेल्थ ने निवेश किया है। हालांकि इस निवेश की राशि का खुलासा नहीं किया गया है। उद्योगपति रतन टाटा और टाटा समूह द्वारा समर्थित इस स्टार्टअप के अन्य निवेशकों में वेणु श्रीनिवासन, कृश गोपालकृष्णन, रोनी स्क्रूवाला, विजय शेखर शर्मा और भावीश अग्रवाल शामिल हैं।
कैंसर रोग के जल्द पहचान एवं निदान में मदद करने वाले इस स्टार्टअप में टाटा समूह ने हाल ही में 110 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह कंपनी विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और पेशेवरों के साथ मिलकर काम करती है और रोगियों को घर पर सेवाएं मुहैया करवाती है। कारकिनोस ने अपने बयान में कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिलायंस डिजिटल हेल्थ के माध्यम से अल्पांश हिस्सेदारी के लिए कुछ राशि का निवेश किया है।
इस मौके पर कारकिनोस हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी आर वेंकटरमणन ने कहा कि एक बार फिर निवेश मिलना कैंसर के इलाज से जुड़े इस मॉडल को वैधता प्रदान करता है। यह फिलहाल केरल में ही अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन जल्द ही अन्य राज्यों में भी विस्तार की योजना है। वेंकटरमणन टाटा ट्रस्ट्स के पूर्व प्रबंध न्यासी हैं जबकि सह-संस्थापक रविकांत टाटा मोटर्स के पूर्व वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक थे।
एस्टर हेल्थकेयर की भारत पर नजरः इस बीच, दुबई स्थित अस्पताल श्रृंखला एस्टर डीएम हेल्थकेयर अगले पांच वर्षों में राजस्व बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भारत पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है और खाड़ी देशों में अपने परिचालन को एक अलग इकाई के सुपुर्द करने की योजना बना रही है। एस्टर डीएम हेल्थकेयर खाड़ी क्षेत्र के साथ-साथ भारत में निजी क्षेत्र की प्रमुख स्वास्थ्य सेवा श्रृंखलाओं में से एक है। आज खाड़ी देशों से इसे लगभग 80 प्रतिशत राजस्व मिलता है और बाकी राजस्व भारतीय बाजार से मिलता है।
एस्टर डीएम के चेयरमैन आजाद मूपेन ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत योजना है और इसे अभी निदेशकमंडल की मंजूरी के लिए नहीं रखा गया है। 35 वर्ष पुराने और बाजार में सूचीबद्ध इस अस्पताल समूह ने दुबई से दिसंबर 1987 में परिचालन शुरू किया था। समूह 455 स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों का संचालन करता है जिसमें 27 अस्पताल एवं 126 क्लीनिक के अलावा लगभग 300 फार्मेसी भी शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 में समूह को प्राप्त लगभग 10,000 करोड़ रुपये के राजस्व में से 2,500 करोड़ रुपये भारतीय कारोबार से आए थे। समूह के संस्थापक डॉ. मूपेन ने कहा कि वह खाड़ी देशों के कारोबार के लिए एक अलग इकाई बनाकर भारतीय कारोबार पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उनकी योजना है कि अगले पांच वर्षों में भारतीय कारोबार का राजस्व कुल राजस्व का करीब 50 फीसदी होकर 25,000 करोड़ रुपये पहुंच जाए।
उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्रों के कारोबार के अलग हो जाने से निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। भारत में कारोबार विस्तार के लिए समूह पहले से सक्रिय अस्पतालों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की रणनीति पर चलेगी।