Nirmala sitharaman announcements: पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के ऐलान की 5.94 लाख करोड़ की पहली किस्त के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को ब्योरा पेश किया। MSME सेक्टर के लिए जारी किए गए एकमुश्त 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज समेत इस पूरी रकम के लिए सरकार के खजाने पर सिर्फ 56,500 करोड़ रुपये का ही बोझ पड़ेगा। बिजनेस टुडे के विश्लेषण के मुताबिक अभी के 56,000 करोड़ और मार्च में जारी हुए 1.7 लाख करोड़ रुपये में सरकार की ओर से खर्च हुए 70,000 करोड़ को जोड़ दें तो यह रकम 1.26 लाख करोड़ रुपये हो जाती है।
विश्लेषण के मुताबिक सरकार की ओर से अब तक करीब 13 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया जा चुका है, उसमें से सिर्फ 1.26 लाख करोड़ रुपये सरकारी खजाने से जाने हैं। 13 लाख करोड़ रुपये के अब तक के पैकेज में 5.2 लाख करोड़ रुपये की वह रकम भी है, जिसे आरबीआई की ओर से मार्च से लेकर अब तक बैंकिंग सिस्टम में डालने का ऐलान किया गया है।
आर्थिक जानकारों के मुताबिक सरकार ने जो ऐलान किए हैं, उसका खजाने पर सबसे कम असर इसलिए पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर घोषणाएं क्रेडिट गारंटी से जुड़ी हैं। इसमें से कोई अतिरिक्त बोझ सरकार पर तभी पड़ेगा, जब किसी तरह का डिफॉल्ट हो जाए, जिसके फिलहाल अभी होने क संभावना नहीं है। यानी यह भविष्य से जुड़ा मसला है। इसके अलावा पावर सेक्टर की ही बात करें तो डिफॉल्ट की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होगी।
सरकार की ओर से जो 56,500 करोड़ रुपये खर्च होने हैं, उसमें 50,000 करोड़ रुपये का हिस्सा टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 फीसदी की कटौती का है। इसके अलावा 4,000 करोड़ रुपये कर्ज में फंसी MSME की मदद के लिए आवंटित किए गए हैं और 2,500 करोड़ रुपये से सरकार ने छोटी कंपनियों के कर्मचारियों के पीएफ को जमा करने का फैसला लिया है। बता दें कि मंगलवार को ही हमने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी थी कि कुल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से सरकार 4.2 लाख करोड़ रुपये ही इस साल खर्च करने की स्थिति में है।
इससे पहले सरकार ने 26 मार्च को जो 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज रिलीज करने का ऐलान किया था, उसमें से 70,000 करोड़ रुपये ही अतिरिक्त तौर पर सरकारी खजाने से जारी हुए हैं। बकाया करीब 1 लाख करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान बजट में पहले ही किया गया था। जैसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना की ही बात करें तो उसकी किस्त पहले ही अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में ट्रांसफर की जानी थी, लेकिन कोरोना के संकट के चलते सरकार ने पहले सप्ताह में ही किस्त जारी कर दी। इस स्कीम के तहत जारी होने वाली रकम पहले से ही बजट में आवंटित थी। इसके अलावा मनरेगा योजना के लिए पहले से ही बजट का आवंटन था, सिर्फ वह अतिरिक्त रकम ही सरकार को देनी पड़ेगी, जो मजदूरी में इजाफे के चलते बढ़ी है।
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